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सोशल मीडिया पर नकेल से छाई बेचैनी


सोशल मीडिया पर नकेल कसने की कोशिशों के खिलाफ राजनीतिक दलों में बेचैनी साफ दिखने लगी है। अचरज यह है कि यह मुखालफत कांग्रेस की ओर से शुरू हुई है। पार्टी के राज्यसभा संासद शांताराम नाइक ने चुनाव आयोग के निर्देश पर सवाल उठाते हुए कहा है कि क्या इसके पहले राजनीतिक दलों से कोई सलाह-मशविरा किया गया। नाइक का कहना है कि आयोग का निर्देश उसके अधिकार क्षेत्र के बाहर है। आयोग को केवल सुपरवाइजरी अधिकार हैं नया कानून बनाने का नहीं। नाइक ने आयोग के अधिकारियों से बात करके अपना विरोध दर्ज कराया है।
हालांकि, कांग्रेस ने इस मसले पर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है। नाइक ने कहा कि यह संसदीय समिति की भी राय रही है कि जिन मसलों पर संसद को कानून बनाना चाहिए या सरकार को नियम बनाना चाहिए, उन मसलों पर चुनाव आयोग बिना कोई कानूनी धारा का उल्लेख किए निर्देश क्यों जारी करती है।
नाइक कार्मिक, लोक शिकायत व कानून व न्याय मामलों की संसदीय समिति के चेयरमैन हैं। उधर, भाजपा ने भी इस मसले पर चर्चा तो की है लेकिन इसे चुनाव आयोग के सामने नहीं उठाने का फैसला किया है। भाजपा नेता मुखतार अब्बास नकवी ने कहा है कि हम चुनाव आयोग के किसी भी निर्देश का पालन करेंगे।
ऐसे उठाया सवाल : नाइक ने कहा कि आयोग ने एक नया कानून बना दिया जो संसद द्वारा पारित नहीं किया गया है।
कांग्रेस संासद ने कहा कि संसद हमेशा चुनाव से जुड़े किसी भी मामले पर चुनाव आयोग की सलाह लेकर ही नियम-कानून बनाती है। लेकिन लगता है आयोग सरकार और राजनीतिक दलों को ऐसे मामलों में भी सलाह के लिए उपयुक्त नहीं मानती है जो उससे जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में नियमन निर्देश जारी करके नहीं किया जा सकता, क्योंकि ऐसा कोई कानून नहीं है।
नियम बताए आयोग : कांग्रेस संासद ने कहा कि आयोग को चाहिए कि वह उन नियमों का उल्लेख करे जिसके तहत इस तरह के निर्देश जारी किए जाते हैं। नाइक ने कहा कि आयोग जैसी पारदर्शिता की अपेक्षा राजनीतिक दलों से करता है वैसी ही पारदर्शिता का परिचय खुद देते हुए उसे किसी भी निर्देश को जारी करते समय रूल, कानून की धाराओं का उल्लेख जरूर करना चाहिए।
कांग्रेस सांसद ने कहा कि स्टेट्यूट्स के तहत नामांकन पत्र में कोई भी परिवर्तन राजनीतिक दलों का पक्ष जाने बिना एकतरफा नहीं किया जा सकता। गौरतलब है क चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया को भी आचार संहिता के दायरे में लाने का निर्देश देते हुए सभी उ मीदवारों से उनके सोशल मीडिया अकाउंट की जानकारी देने को कहा है।
नेताओं में होड़ : राजनीतिक दलों में सोशल मीडिया के उपयोग की होड़ है। भाजपा व कांग्रेस के अलावा छोटे-छोटे क्षेत्रीय दलों ने भी सोशल मीडिया पर दस्तक दे दी है। अमूमन ऐसी गतिविधियों से दूर रहने वाली बहुजन समाजवादी पार्टी ने भी अपना फेसबुक एकाउंट बनाया है। आरोप-प्रत्यारोप और दुष्प्रचार को देखते हुए यह मांग उठी थी कि सोशल मीडिया पर भी नकेल कसी जानी चाहिए।