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जनाक्रोश रैली में नीतीश सरकार पर खूब बरसी भाकपा


भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) शुक्रवार को अलग रंग में दिखी। लोकसभा चुनाव से पहले उसने गांधी मैदान में आयोजित जनाक्रोश रैली में अच्छी-खासी भीड़ के बूते अपने जनाधार को दिखाया, वहीं इसी बहाने दूसरों वाम दलों को अपनी शक्ति का अहसास भी कराया। खास बात यह कि कुछ दिन पहले तक जो भाकपा जदयू के साथ चुनावी गठजोड़ करने का संकेत दे रही थी वहीं पार्टी के तमाम नेताओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बिना नाम बोले, राज्य सरकार पर खूब बरसे। वैसे रैली में भाकपा के निशाने में यूपीए सरकार, भाजपा और गुजरात के मुख्यमंत्री एवं पीएम पद के घोषित उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी भी रहे। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एस. सुधाकर रेड्डी ने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि देश कठिन दौर से गुजर रहा है। कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए सरकार की पूंजीपरस्त नीतियों ने जनता को जीना मुश्किल कर दिया है। भ्रष्टाचार, महंगाई, बेकारी और बेरोजगारी से जनता कराह उठी है। कृषि संकट का यह हाल है कि हजारों किसान आत्महत्या कर रहे हैं। देश के इस बुरा हाल में भाजपा अपने चुनावी लाभ के लिए हिन्दुत्व कार्ड खेल रही है। गुजरात में हजारों मुस्लिमों के हत्यारों के नरेन्द्र मोदी को पीएम पद का प्रत्याशी बनाया है और अब पूंजीपतियों के पैसे से देश भर में रैलियों के जरिये साम्प्रदायिक उन्माद फैला रही है। उन्होंने राज्य सरकार पर किसानों, खेतिहर श्रमिकों, दलितों, मेहनतकश मजदूरों और महिलाओं की घोर उपेक्षा करने का आरोप लगाया। भाकपा संसदीय दल के नेता गुरुदास दासगुप्ता ने नीतीश कुमार को बिना नाम लिये कहा कि बिहार में कल-कारखाना नहीं खुले। यहां बेरोजगार अन्य राज्यों में पलायन करने पर मजबूर हो रहे है। बेकारी बेरोजगारी और दलितों-महिलाओं तथा अल्पसंख्यकों पर आए दिन हमले बढ़ रहे हैं। शिक्षकों को ठेके पर बहाल किया जा रहा है। वित्त रहित शिक्षा नीति के नाम पर शिक्षकों को अपमानित किया जा रहा है। ऐसी सड़ी-गली राज्य सरकार को उखाड़ फेंके। उन्होंने कहा कि जो लोग बिहार में उनकी पार्टी के जनाधार के बारे में पूछ रहे हैं, उन्हें गांधी मैदान में आकर देखना चाहिए कि रैली में यह जनसैलाब कहां से उमड़ा है। इसी जगह पर दो दिन बाद साम्प्रदायिक ताकतों की रैली होने वाली है। ढाई करोड़ का मंच बन रहा है। करोड़ों रुपये रैली की सफलता के लिए खर्च किए जा रहे हैं। यह सारा पैसा पूंजीपतियों का है। रैली का यह जनाक्रोश पूंजीपतियों, भ्रष्ट व्यवस्था, साम्प्रदायिकता और महंगाई-बेरोजगारी के खिलाफ है। केन्द्र सरकार की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कभी देश का भला नहीं किया। घोटाले के लिए पैसा है पर गांव की प्यासी जनता को पानी पिलाने की खातिर पैसा नहीं है। महंगाई का आलम यह है कि प्यास 100 रुपये किलो बिक रहा है। जनता को प्यास, नमक तक नसीब नहीं हो रहा है। दाल, चीनी और किरासन-डीजल से पहले से वंचित किया जा चुका है। रैली की अध्यक्षता जब्बार आलम ने की। राज्य सचिव राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए रैली में आए लोगों से संघर्ष तेज करने का आह्वान किया।
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पारित प्रस्ताव
* विकसित और खुशहाल बिहार बनाने का संकल्प
* जनवितरण प्रणाली को भ्रष्टाचार मुक्त बनाकर सस्ते दर पर अनाज उपलब्ध कराना
* नवम्बर-दिसम्बर में प्रखंड मुख्यालयों में प्रदर्शन
* फरवरी में जिला मुख्यालयों का घेराव
* भ्रष्टाचार एवं अपराध को रोकने का उठाया जाए कठोर कदम
* बाढ़, सुखाड़ और बिजली संकट का स्थायी समाधान
* सभी खेत मजदूरों को एक-एक एकड़ भूमि
* कृषि उत्पादों को वाजिब कीमत एवं किसानों को सस्ते दर पर ऋण
* कृषि आधारित रोजगार का सृजन