पतित पावनी गंगा तट पर बसे बिहार के योगनगरी मुंगेर में आयोजित योग के महाकुंभ (विश्व योग सम्मेलन) में प्रत्येक दिन योग का नया स्वरूप निखर कर सामने आ रहा है। जिसे देख कर दुनिया अभिभूत हो रही है। बिहार योग विद्यालय की स्थापना के गोल्डन जुबली वर्ष पर आयोजित विश्व योग सम्मेलन के तीसरे दिन शुक्रवार को शिक्षा में योग के प्रयोग विषय पर गंभीर विचार मंथन हुआ। उसमें देश-दुनिया के विद्वानों के विचार मंथन बाद जो तथ्य स्पष्ट हुआ, वह यह था कि योग व्यक्तित्व के समग्र विकास का प्रभावी माध्यम है। इसलिए योग को शिक्षा से जोड़ा जाना आवश्यक है। योग के अभाव के कारण ही आज अधिकांश छात्रों में हिस्ट्री-जोग्रफी बड़ी बेवफा, रात में पढ़ा, सुबह सफा वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। सम्मेलन की शुरुआत में स्वामी निरंजनानंद ने कहा कि मुंगेर जैसा गौरव न देश के किसी नगर को हासिल हुआ है और न होगा। मुंगेर में विश्व के 56 देशों और भारत के 22 प्रांतों के नागरिक एक साथ जमा हो कर योग का उत्सव मना रहे हैं। बिहार योग विद्यालय विश्व की पहली ऐसी संस्था बन गई है, जिसने दो वर्षो से भी कम समय में 350 से अधिक साहित्यों का प्रकाशन किया है। वहीं, योग, आसान, प्रणायाम, सत्संग-कीर्तन व प्रवचन के 350 से अधिक सीडी-डीवीडी भी तैयार किए गए हैं। उन्हें योग प्रेमियों के बीच वितरित किए जा रहे हैं। यह ज्ञान का दान नहीं, बल्कि विद्यालय का दान है। स्वामी निरंजनानंद ने कहा कि ज्ञान का प्रभाव बुद्धि पर पड़ता है जबकि, विद्या का जीवन पर। ईश्वर की कृपा से मुंगेर योगनगरी बन गया है। स्वामी जी ने कहा कि विश्व योग सम्मेलन पांच दिनों का कार्यक्रम है। उसके बाद सिर्फ और सिर्फ मुंगेर के लोगों के लिए सात दिनों का योग शिविर निश्शुल्क आयोजित किया जाएगा। विश्व योग सम्मेलन के तीसरे दिन फ्रांस की स्वामी योग भक्ति, रांची के स्वामी माधवानंद, महाराष्ट्र के स्वामी कर्मानंद सरस्वती, स्वामी निर्मलानंद सरस्वती ने अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए। मौके पर देश-विदेश से आए सैकड़ों मेहमान मौजूद थे।