ताजा समाचार :

6/Posts/ticker posts

विद्युत कर्मियों पर लाठीचार्ज, बिजली कर रही आंखमिचौली


पटना में विद्युत कर्मियों से बात बिगड़ी और बिगड़ती चली गई। शुक्रवार को विद्युत कर्मियों के धरने का समापन लाठी, आंसू गैस, ईट और पत्थरों की बारिश से हुआ। इनकम टैक्स गोलंबर से लेकर हड़ताली मोड़ तक की सड़क ईंट-पत्थर से पट गई। लगभग चार घंटा तक विद्युतकर्मियों और पुलिस वालों के बीच गुरिल्ला युद्ध सा नजारा रहा। दोनों ओर से जमकर पत्थरबाजी की गई। अफरातफरी और बवाल के बीच बेली रोड पर यातायात ठप रहा। हालात इस कदर बेकाबू हो गए कि पुलिस को चार दर्जन से ज्यादा अश्रुगैस के गोले दागने पड़े। बवाल में दो दर्जन से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। लाठीचार्ज में कई विद्युतकर्मी और राहगीर भी जख्मी हुए। दर्जनों लोगों को हिरासत में लिया गया है। बाद में केदारभवन में विद्युत यूनियनों की बैठक में एक स्वर में बेमियादी हड़ताल पर जाने की घोषणा की गई। विद्युत कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने का बुरा असर विद्युत आपूर्ति व्यवस्था पर पड़ा। शाम पांच बजे तक राजधानी के अधिकांश भागों में अंधेरा छा गया। राज्य के अधिकांश हिस्सों में भी विद्युत व्यवस्था चरमरा गई।
बेली रोड स्थित विद्युत भवन के सामने 10 बजे विद्युत कंपनी के अभियंताओं, अधिकारियों और कर्मचारियों का मांगों के समर्थन मे धरना शुरू हुआ। आधी सड़क पर उनका कब्जा हो गया। 12 बजे तक यह कब्जा पूरी सड़क पर हो गया। पुलिस का हस्तक्षेप तो अब होना ही था। कहा गया कि धरना प्रदर्शन के लिए आधी सड़क ही काफी है। पुलिसिया आग्रह को कर्मियों ने दरकिनार किया और फिर लाठियां चटकने लगीं। कर्मियों ने इसका जवाब ईंट -पत्थर से देना शुरू किया। यह युद्ध चार घंटे तक चला और जनता हलकान रही।
संघर्ष के बीच सड़क पर सदन की मसले पर बहस भी चल रही थी। चर्चा थी कि विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंध निदेशक संजय अग्रवाल बदजुबान हैं। इसलिए कर्मचारियों में आक्रोश है। मांगों पर भी सरकार ध्यान नहीं दे रही है। विद्युत कर्मी मजबूर हैं। प्रतिपक्ष की ओर से जवाब मिला-बदजुबान क्या हैं? कसकर काम ले रहे हैं। ई सब कभी काम किया नहीं है। यूनियनबाजी से अब थोड़े ही काम चलेगा। बिजली विभाग अब सरकारी नहीं रहा, कंपनी बन गया है। साफ कहा गया है कि काम करो, नहीं तो घर बैठो। तभी धड़ाम की आवाज आई और ईट का अधवाड़ आसपास बिखर गया। बहस करने वाले जान बचाकर इनकम टैक्स गोलंबर स्थित फल मंडी में दुबक गए। प्रदर्शनकारियों से बचने का आइडिया तो सही था, लेकिन काम न आया। दुबके लोगों को पुलिस ने खदेड़ना शुरू कर दिया। कई को बेवजह डंडे का स्वाद भी चखना पड़ा। दरअसल, पुलिसवालों की मनोदशा भी गड़बड़ा गई थी। हुआ यूं कि लाठी चार्ज के बाद प्रदर्शनकारियों में भगदड़ मच गई थी। कुछ विद्युत भवन के अंदर चले गए थे तो कुछ सड़क पार कर बाउंड्री फांद गए। बीच सड़क पर पुलिस थी और दोनों ओर से हमला झेल रही थी। खैर, इसी मोर्चाबंदी के बीच दोनों तरफ से लगभग दो घंटे तक ईट पत्थर की बारिश होती रही। टीयर गैस के गोले भी छूटते रहे। इसी बीच 3.15 बजे प्रदर्शनकारियों ने अपनी रणनीति बदल दी। अब वे इनकम टैक्स गोलंबर के पास अंदर ही अंदर पहुंच गए और पूरब की ओर (सुधा बूथ) से हमला कर दिए। पुलिसकर्मी इसके लिए तैयार नहीं थे। कुछ ईट से चोटिल हो गए। गोलंबर के पास ही कई पुलिस के वाहन भी थे जिस पर ईट की वर्षा होने लगी। ड्राइवरों ने तत्काल हटाना शुरू किया। प्रदर्शनकारियों की ओर से फेंके गए पत्थरों को चुनकर पुलिसकर्मी भी दनादन जवाब देने लगे। प्रदर्शनकारी जब दबने लगे तो फिर नई रणनीति बनी। 3.30 बजे इनकम टैक्स गोलंबर के उत्तरी छोर (गोलंबर से जो सड़क पी एंड टी कालोनी में जाती है) से पुलिसकर्मियों पर आक्रमण हुआ। दरअसल, लाठी चलने के दौरान जो कर्मी बाउंड्री फांद कर किदवईपुरी में घुस गए थे, उन्होंने नए सिरे से हमला कर दिया था। पुलिसकर्मी बौखला गए। शुरू हुई खदेड़ाखदेड़ी। इसी बीच कुछ और पुलिसकर्मी इनकम टैक्स पर पहुंचे और रफ्तार में फल मंडी से होते हुए विद्युत भवन की ओर बढ़े। अधिकारियों ने आवाज बुलंद की। 300 से कम गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए। गिरफ्तारी शुरू हुई। डंडे का प्रयोग भी। विद्युत कर्मियों का मनोबल टूटने लगा। साथ ही माहौल भी शांत की ओर बढ़ा। पुलिसकर्मियों ने 3.50 बजे हाईकोर्ट की ओर से आनेवाले वाहनों को हरी झंडी दिखा दी। इसके बाद चार बजे इनकम टैक्स गोलंबर से हाईकोर्ट की ओर जाने वाले वाहनों के लिए रास्ता खोल दिया गया।