दक्षिण गुजरात और महाराष्ट्र में भारी बारिश की वजह से सूरत में बाढ़ के हालात हैं. नदी का पानी शहर में घुस चुका है. लगातार हो रही बारिश की वजह से उकाई डैम का जलस्तर बढ़ गया है. सूरत में बाढ़ की वजह तापी नदी का पानी है. उकाई डैम तापी नदी में करीब साढ़े चार लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया. नतीजा नदी का पानी शहर के निचले हिस्सों में भर गया. बड़ी-बड़ी इमारतों में पानी में घुस गया.
उकाई डैम का जलस्तर लगातार बढ़ने की वजह से तकरीबन साढ़े चार लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है जिससे तापी नदी उफान पर हैं. नतीजन शहर के निचले इलाकों में पानी भर जाने से बाढ़ के हालत बन गये हैं.
पिछले चौबीस घंटे से सूरत सहित दक्षिण गुजरात में भारी बारिश के चलते उकाई डैम का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. डैम में करीबन 7.5 लाख क्यूसेक पानी बढ़ गया है. डैम के लेवल को मेंटेन करने के लिए प्रशासन ने बारी-बारी से पानी छोड़ने का सिलसिला जारी रखा है. बीती रात साढ़े चार लाख क्यूसेक पानी छोड़ना पड़ा जिसकी वजह से शहर के बीचों-बीच से बहने वाली तापी नदी उफान पर है.
तापी नदी का बहाव खतरे के निशान के आसपास ही है. नतीजतन शहर के निचले इलाकों में पानी भर गया है. शहर के कतारगाम-वेडरोड और अमरोली-छापराभाटा इलाके में पानी का जमाव हो गया है. इन इलाकों में लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. साथ ही नदी किनारे रहने वाले लोग अपने सामानों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रहे हैं. शहर के लोगों में डर सा माहौल पैदा हो गया और बाढ़ की आशंका को देखते हुए वो दूध और दूसरी सभी चीजों को स्टॉक करने में जुट गए हैं.
2006 में आई भयानक बाढ़ से डरे सूरत के लोगों ने इस बार फिर अपनी कारों को बाढ़ के पानी में डूबने से बचाने के लिए उसे तापी नदी पर बने पुल पर पार्क कर दिया है. इससे ट्रैफिक जाम की स्थिति भी पैदा हो गयी. इतना ही नहीं लोग तापी नदी के किनारे आकर बढ़ते हुए पानी को देखकर आशंका के बीच पिस रहे हैं.
सात साल पहले 2006 में इसी तरह उकाई डैम से पानी छोड़े जाने से सूरत में बाढ़ आई थी जिससे लोगों को करोड़ों का नुकसान हुआ था. तब कई दिनों तक सूरत के लोगों को भूखे-प्यासे दिन गुजारना पड़ा था. अब दोबारा वही परिस्थिति पैदा होने पर लोग लोग डरे-सहमे हुए हैं और खाने पीने की चीजों को इक्टठा कर रहे हैं. दूसरी ओर आगे क्या होगा यह सोच कर लोगों की रुहें कांप रही हैं.