डॉ. ताहिर हुसैन वारसी को तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय का नया
कुलसचिव नियुक्त किया है। राजभवन से फैक्स आने के बाद कुलपति ने तत्काल
इसकी अधिसूचना जारी कर दी।
इस आधार पर डॉ. हुसैन ने भी योगदान दे दिया। इसे महज संयोग कहा जाए या कुछ और कि पूरा घटनाक्रम पदच्युत किए गए कुलसचिव डॉ. विजय कुमार सिंह की अनुपस्थिति में हुआ है। डॉ. सिंह पटना के रास्ते में थे, तब उन्हें जानकारी मिली कि अब उनकी जगह डॉ. हुसैन कुलसचिव होंगे। इधर, विवि प्रशासन ने योगदान देने विश्वविद्यालय पहुंचे नए कुलसचिव का जोरदार स्वागत किया। डीएसडब्ल्यू ज्योतिंद्र चौधरी, प्राक्टर केएन यादव, परीक्षा नियंत्रक रामाशीष पूर्वे समेत विवि के सभी अधिकारी उनके साथ कार्यालय कक्ष तक आए।
तीन दिन पूर्व कुलपति के तौर पर प्रो. अंजनी कुमार सिन्हा की नियुक्ति के बाद यह राजभवन की ओर से दूसरा बड़ा बदलाव है। विवि में एक दिन पूर्व ही इस बात की चर्चा होने लगी थी। चर्चा यह कि पदच्युत कुलसचिव डॉ. सिंह को भी ऑफर मिला था, पर वे राजभवन और विवि से जुड़े मामलों को देखने वालों की उम्मीद से काफी पिछड़ गए। वैसे, कुलपतियों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राजभवन से की जा रही इस प्रकार की नियुक्ति पर भी सवाल उठ रहे हैं।
वहीं पदच्युत कुलसचिव डॉ. विजय कुमार सिंह ने कहा है कि विश्वविद्यालय की राजनीति ने मुझे बेदखल तो कर दिया है पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने मुझे गेम में वापस लौटा दिया है। वैसे, निर्णय अभी देखा नहीं है, लेकिन जो सूचना है उसके मुताबिक नौ फरवरी के बाद राजभवन की ओर से जारी सारे निर्णय पर रोक लगाई गई है। भागलपुर विवि में बदले गए कुलपति, कुलसचिव या परीक्षा नियंत्रक, सभी इस निर्णय की जद में आएंगे। तकनीकी तौर पर कोर्ट में भागलपुर का उल्लेख नहीं है। फिलहाल, वे राजभवन में अपनी पुनर्विचार याचिका देंगे और न्याय नहीं मिला तो फिर न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।
इस आधार पर डॉ. हुसैन ने भी योगदान दे दिया। इसे महज संयोग कहा जाए या कुछ और कि पूरा घटनाक्रम पदच्युत किए गए कुलसचिव डॉ. विजय कुमार सिंह की अनुपस्थिति में हुआ है। डॉ. सिंह पटना के रास्ते में थे, तब उन्हें जानकारी मिली कि अब उनकी जगह डॉ. हुसैन कुलसचिव होंगे। इधर, विवि प्रशासन ने योगदान देने विश्वविद्यालय पहुंचे नए कुलसचिव का जोरदार स्वागत किया। डीएसडब्ल्यू ज्योतिंद्र चौधरी, प्राक्टर केएन यादव, परीक्षा नियंत्रक रामाशीष पूर्वे समेत विवि के सभी अधिकारी उनके साथ कार्यालय कक्ष तक आए।
तीन दिन पूर्व कुलपति के तौर पर प्रो. अंजनी कुमार सिन्हा की नियुक्ति के बाद यह राजभवन की ओर से दूसरा बड़ा बदलाव है। विवि में एक दिन पूर्व ही इस बात की चर्चा होने लगी थी। चर्चा यह कि पदच्युत कुलसचिव डॉ. सिंह को भी ऑफर मिला था, पर वे राजभवन और विवि से जुड़े मामलों को देखने वालों की उम्मीद से काफी पिछड़ गए। वैसे, कुलपतियों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राजभवन से की जा रही इस प्रकार की नियुक्ति पर भी सवाल उठ रहे हैं।
वहीं पदच्युत कुलसचिव डॉ. विजय कुमार सिंह ने कहा है कि विश्वविद्यालय की राजनीति ने मुझे बेदखल तो कर दिया है पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने मुझे गेम में वापस लौटा दिया है। वैसे, निर्णय अभी देखा नहीं है, लेकिन जो सूचना है उसके मुताबिक नौ फरवरी के बाद राजभवन की ओर से जारी सारे निर्णय पर रोक लगाई गई है। भागलपुर विवि में बदले गए कुलपति, कुलसचिव या परीक्षा नियंत्रक, सभी इस निर्णय की जद में आएंगे। तकनीकी तौर पर कोर्ट में भागलपुर का उल्लेख नहीं है। फिलहाल, वे राजभवन में अपनी पुनर्विचार याचिका देंगे और न्याय नहीं मिला तो फिर न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।