महाकुंभ के दौरान 10 फरवरी रविवार यानी मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ
के मेले में सर्वाधिक 3 करोड़ लोगों ने डुबकियां लगायीं। जाहिर है इस कारण
इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर भी पैर रखने तक की जगह नहीं थी और ऊपर से भगदड़।
भगदड़ में 40 लोगों की मौत हुई और शासन-प्रशासन पर छींटाकशी शुरू हो गई।
रेल मंत्री पवन बंसल कहते हैं, कि "हर 10 मिनट पर ट्रेनें कहां से लाकर
दूं।"
सच पूछिए तो हर मिनट ट्रेन आने से भी सॉल्यूशन नहीं निकलेगा। जरूरत है
व्यवस्थित संचालन की जिसमें इलाहाबाद रेलवे स्टेशन फेल साबित हुआ। हम
यहां रेलमंत्री जी से पांच सवाल पूछ रहे हैं अगर, उनके जवाब उनके पास हैं,
तो आगे ऐसी दुर्घअनाएं टल सकती हैं, अन्यथा अगले दो महीने तक एक और भगदड़
की आशंका बनी रहेगी।
1. एक ही समय में 5 राज्यों के लिये ट्रेनें क्यों?
सच पूछिए तो भगदड़ का कारण कुंभ की व्यवस्था नहीं, बल्कि ट्रेनों का गलत
संचालन था। रेलवे ने 700 कुंभ स्पेशल ट्रेनें चलायीं हैं। उनके अलावा
इलाहाबाद से रविवार को 120 अन्य ट्रेनें गुजरीं। उनमें से भी 30 ट्रेनें
शाम 4:30 बजे और रात्रि 12 बजे के बीच निर्धारित थीं। जरा सोचिये इन 30
ट्रेनों के लिये 3 लाख यात्री इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पहुंचे।
यह दुर्घटना शाम को 6:45 बजे हुई। उस दौरान सिक्किम महानंदा, शिप्रा
एक्सप्रेस, सीमांचल एक्सप्रेस, गोधन एक्सप्रेस, हावड़ा एक्सप्रेस
स्टेशन पहुंची ही थीं। ये वो ट्रेनें हैं, जो बिहार, झारखंड, मध्य
प्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र की ओर जाती हैं। ये सभी ट्रेनें लेट
चल रही थीं। यानी एक ही समय पर पांच राज्यों की ओर जाने वाली ट्रेनें
अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर खड़ी थीं। रेल मंत्री से सवाल- पांच राज्यों की ओर
जाने वाली ट्रेनों को एक साथ स्टेशन पर क्यों लाया गया। मंत्री जी कुंभ
के दौरान अगर भीड़ थी, तो कम से कम ट्रेनों को आउटर पर रोका जा सकता था।
2. बार-बार प्लेटफॉर्म में परिवर्तन क्यों?
उत्तर प्रदेश के अधिकांश रेलवे स्टेशनों- खासकर इलाहाबाद, कानपुर और लखनऊ
में ऐन मौके पर प्लेटफॉर्म नंबर में परिवर्तन करना आम बात है। हर रोज
यहां प्लेटफॉर्म की संख्या या तो ऐन मौके पर बतायी जाती है, या फिर
परिवर्तित कर दी जाती है। रविवार शाम को भी ऐसा ही हुआ। प्लेटफॉर्म नंबर 6
पर आने वाली ट्रेन के बारे में सूचना भी ऐन मौके पर दी गई। पहले वो ट्रेन
चार पर निर्धारित थी। रेलवे दिल्ली में स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस के
पहुंचने के वक्त भगदड़ में 20 लोगों की मौत के बाद यह नियम बनाया गया था,
कि कभी भी ऐन मौके पर प्लेटफॉर्म संख्या नहीं बदली जायेगी। रेल मंत्री से
सवाल- क्या प्लेटफॉर्म निर्णारण प्रणाली को सख्त नहीं कर सकते? नियम
क्यों लागू नहीं होता?
3. रेलवे अस्पताल में सिर्फ एक डॉक्टर क्यों?
जिस रेलवे स्टेशन पर 3 लाख लोग आने थे, उसी रेलवे के अस्पताल में मात्र
एक डॉक्टर तैनात था। यह अस्पताल मात्र 500 मीटर की दूरी पर है। भगदड़ में
घायल आठ वर्षीय मुस्कान को प्लेटफॉम से अस्पताल तक पहुंचाने में दो
घंटे का समय लगा। आज सुबह उसकी मौत हो गई। बंसल साहब रेलवे के अस्पताल में
कम से कम 20 डॉक्टर तो तैनात कर ही सकते हैं। रेल मंत्री से सवाल- रेलवे
के अस्पताल में सिर्फ एक डॉक्टर क्यों?