
डाकबंगला, स्टेशन गोलंबर, जीपीओ गोलंबर होते हुए आर.ब्लाक चौराहे तक गया।
प्रदर्शन में शामिल पंच-सरपंच संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश बाबा ने कहा कि मांगे पूरी होने पर न्यायालयों का बोझ काफी कम हो जायेगा तथा ग्रामीण जनता को तुरंत न्याय मिलेगा। उन्होंने आश्चर्य प्रकट किया कि सात सरपंचों की हत्या कर दी गई। जानलेवा हमला और झूठा मुकदमा का दौर जारी है। फिर भी राज्य सरकार सुरक्षा की व्यवस्था नहीं कर रही।
प्रतिरोध मार्च में राज्यभर से पंच, सरपंच, उप सरपंच शामिल हुए। मार्च का नेतृत्व बिहार प्रदेश पंच सरपंच संघ के अध्यक्ष अमोद कुमार निराला ने किया। ग्राम न्यायालयों को सुविधा संपन्न बनाने सहित प्रदर्शन का मुद्दा 21 सूत्री मांग थी। सरपंचों को मजिस्ट्रेट का पावर देते हुए न्यायालय की तरह सुविधा देने, प्रत्येक ग्राम कचहरियों में न्याय मित्र, न्याय सचिव, भू-मापक, आदेशपाल, ग्राम रक्षा दल, चौकीदार की तैनाती अविलंब करने, ग्राम कचहरियों में कंप्यूटर लगाने, विधायकों की तरह वेतन-भत्ता, स्वास्थ्य सुविधा, बीमा, पेंशन सुनिश्चत कराने, स्थानीय निकाय में पंच, सरपंच, उप सरपंच को मतदान का अधिकार देने, ग्राम कचहरी भवन का निर्माण कराने, ग्राम कचहरी प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण, संशोधित पुस्तकें, सरकारी पत्रिका, मार्गदर्शिका सहित सभी तरह के कागजात उपलब्ध कराने की मांग की।
सरपंच व उप सरपंचों पर हुए मुकदमें वापस करने तथा कातिलाना हमले और हत्या के मामले में स्पीडी ट्रायल कर अपराधियों को सजा दिलाने, मुकदमा वरीय पदाधिकारियों के जांचोपरांत दर्ज करने, मृतक प्रतिनिधियों के परिजनों को दस-दस लाख रुपये मुआवजा एवं एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की। पंचायत स्तर पर किसी योजना, विकास कार्यो में स्थानीय स्वीकृति, जांच एवं मार्गदर्शन के लिए सरपंचों को अधिकृत किया जाए। एक-एक एम्बुलेंस दिया जाए। प्रदर्शन में विश्वनाथ चौधरी, विनय झा, रामदुलारी देवी, योगेश्वर रविदास, रामानंद सिंह, नरेश प्रसाद सिंह, उमाशंकर सिंह, धनंजय कुमार आदि ने भाग लिया।