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'छठ' महापर्व का दूसरा दिन 'खरना'

चार दिनों तक मनाए जाने वाले छठ महापर्व का रविवार को दूसरा दिन है. इस दिन को 'खरना' कहा जाता है.
इस दिन व्रतधारी दिनभर उपवास करते हैं और शाम में भगवान सूर्य को खीर-पूड़ी, पान-सुपारी और केले का भोग लगाने के बाद खुद खाते हैं.
यह व्रत काफी कठिन होता है. पूरी पूजा के दौरान किसी भी तरह की आवाज नहीं होनी चाहिए. खासकर जब व्रती प्रसाद ग्रहण कर रही होती है और कोई आवाज हो जाती हो तो खाना वहीं छोड़ना पड़ता है और उसके बाद छठ के खत्म होने पर ही वह मुंह में कुछ डाल सकती है. इससे पहले एक खर यानी तिनका भी मुंह में नहीं डाल सकती इसलिए इसे खरना कहा जाता है.
खास तरीके से बनाया जाता है प्रसाद

खरना के दिन खीर के प्रसाद का खास महत्व है और इसे तैयार करने का तरीका भी अलग है. मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी जलाकर यह खीर तैयार की जाती है. प्रसाद बन जाने के बाद शाम को सूर्य की आराधना कर उन्हें भोग लगाया जाता है और फिर व्रतधारी प्रसाद ग्रहण करती है.
इस पूरी प्रक्रिया में नियम का विशेष महत्व होता है. शाम में प्रसाद ग्रहण करने के समय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि कहीं से कोई आवाज नहीं आए. ऐसा होने पर खाना छोड़कर उठना पड़ता है.
20 नवंबर को संपन्न होगी छठ पूजा
खरना का प्रसाद खाने के बाद व्रतधारी छठ मइया की उपासना करते हैं.
मालूम हो कि नहाय खाय के साथ शनिवार से छठ पूजा शुरू हो गई. रविवार को खरना की पूजा के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होगा. 19 की शाम को डूबते सूरज को अर्ध्य दिया जाएगा. 20 नवंबर की सुबह उगते सूरज को अर्ध्य देने के बाद व्रती पूजा समाप्त करेंगे.