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सूर्योपासना का महापर्व छठ पूजा सम्पन्न

नवगछिया एवं भागलपुर सहित बिहार में सूर्योपासना का महापर्व छठ पूजा के अवसर पर जहां सोमवार को व्रतधारियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को नदी और तालाबों में प्रथम अर्घ्य अर्पित किया। वहीं मंगलवार को गंगा और कोसी नदी में हजारों महिला और पुरूष व्रतधारियों ने उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। 
इस अवसर पर लाखो लोगों ने पवित्र कोसी एवं गंगा नदी में स्नान भी किया। सोमवार दोपहर बाद से हीं गंगा और कोसी नदी की ओर जाने वाले सभी मार्ग छठ व्रत एवं सूर्य आराधना के भक्तिपूर्ण एवं कर्णप्रिय गीतों से गुंजायमान थे।
 नवगछिया पुलिस जिला क्षेत्र में श्रद्धालुओं की भीड़ सबसे ज्यादा

गंगा नदी किनारे जाह्नवी चौक के समीप हाई लेवल घाट पर तथा कोसी नदी किनारे नवगछिया के विजय मिलकी घाट पर देखी गयी | जहां लोगों ने पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ भगवान भाष्कर को अर्घ्य अर्पित किया | वहीं बच्चों ने जाम कर पटाखे फोड़े और आनंदित हुए | हाई लेबल घाट पर जहां श्रद्धालुओं का भरपूर सहयोग इस्माइलपुर प्रखण्ड के जदयु अध्यक्ष गुलशन कुमार ने की | वहीं नवगछिया विजय मिल्की घाट पर पप्पू यादव और प्रवीण यादव ने की |
इसके अलावा नवगछिया शहर में बड़ी घाट ठाकुरबाड़ी, बुढ़िया काली मंदिर, चैती दुर्गा स्थान परिसर, स्टेशन के समीप हनुमान मंदिर परिसर में कृत्रिम घाट बनाकर श्रद्धालुओं ने सूर्योपासना की | साथ ही दर्जनों घरों की छतों पर भी कृत्रिम जल कुंड बना कर लोगों ने छठ पूजा सम्पन्न की |
नवगछिया पुलिस  जिला प्रशासन ने गंगा और कोसी नदी के घाटों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये थे । गंगा एवं कोसी नदी में नावों के परिचालन पर भी रोक लगायी गयी है। इसी तरह शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 18 और 19 नवम्बर को शराब की दुकानों को भी बंद रखने का आदेश दिया गया है। साथ ही छठ घाटों पर पटाखा छोडऩे पर भी प्रतिबंध है। छठ व्रतियों के लिये गंगा घाटों को साफ सुथरा किया गया था और विशेष रूप से सजाया भी गया था ।
बताते चलें कि दूसरा अर्घ्य अर्पित करने के बाद ही श्रद्धालुओं का 36 घंटे का निराहार व्रत समाप्त हो गया | उन्हों ने अन्न ग्रहण किया । चार दिवसीय यह महापर्व नहाय खाय से शुरू होता और उस दिन श्रद्धालु नदियों और तलाबों में स्नान करने के बाद शुद्ध घी में बना अरवा भोजन ग्रहण करते हैं। इस महापर्व के दूसरे दिन श्रद्धालु दिन भर बिना जलग्रहण किये उपवास रखने के बाद सूर्यास्त होने पर पूजा करते है और उसके बाद एक बार ही दूध और गुड़ से बना खीर खाते हैं तथा जब तक चांद नजर आये तब तक पानी पीते हैं और उसके बाद से उनका करीब 36 घंटे का निराहार व्रत शुरू होता है।