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आज के ही दिन भागलपुर में पैदा हुए थे अशोक कुमार

बिहार के शहर भागलपुर में गंगा नदी के तट पर बसे आदमपुर मुहल्ले में 13 अक्टूबर 1911 को पैदा हुए कुमुदलाल गांगुली उर्फ अशोक कुमार.
भारत में जब बोलती फिल्मों का दौर शुरू हुआ उस जमाने में अभिनय में काफी लाउडनेस होती थी और पारसी थियेटर के प्रभाव में संवाद अदायगी पर विशेष जोर दिया जाता था, उसी समय अशोक कुमार यानी दादामुनि हिंदी फिल्मों में ऐसे कलाकार के रूप में सामने आए जिनके अभिनय में स्वाभाविकता और सहजता थी.
अपनी अभिनय प्रतिभा से स्टारडम को नया आयाम देते हुए अशोक कुमार ने
तमाम ऐसी सामाजिक एवं मनोरंजक फिल्में दी जो समाज में प्रचलित कुरीतियों पर चोट करते हुए उनसे उबरने का संदेश देती थीं.
बिहार के शहर भागलपुर में गंगा नदी के तट पर बसे आदमपुर मुहल्ले में 13 अक्टूबर 1911 को पैदा हुए कुमुदलाल गांगुली उर्फ अशोक कुमार ने अपने को किसी इमेज में नहीं बंधने दिया और नायक की छवि को नया आयाम दिया. ऐसे युग में जब हीरो को अच्छाई का प्रतीक समझा जाता था, उस समय उन्होंने फिल्म ‘किस्मत’ में एंटी हीरो की भूमिका निभाते हुए प्रचलित मान्यताओं को ध्वस्त कर दिया. उन्होंने ऐसे दौर में अभिनय को सम्मानजनक स्थान दिलाया जब फिल्मों को सम्मान से नहीं देखा जाता था.
दिलचस्प है कि अपने अभिनय से कई पीढ़ी के दर्शकों के दिलों पर राज करने वाले अशोक कुमार फिल्म के तकनीकी पक्ष से जुड़ना चाहते थे. लेकिन संयोग ने उन्हें अभिनय के क्षेत्र में ला दिया और उन्होंने अभिनय को इस कदर आत्मसात कर दिया कि उनका जादू लोगों के सर पर चढ़कर बोला. ‘अछूत कन्या’ उनकी शुरुआती फिल्मों में थी जिसने अशोक कुमार को हिंदी सिनेमा उद्योग में स्थापित कर दिया.
इसमें उनकी नायिका देविका रानी थी जो उन दिनों चोटी की नायिका होती थीं. इस फिल्म में अशोक कुमार का आत्मविास देखते ही बनता है और कहीं से यह प्रतीत नहीं होता कि स्थापित नायिका के सामने एक नवोदित अभिनेता है.
देविका रानी के साथ अशोक कुमार का साथ आगे भी रहा और दोनों ने कई लोकप्रिय फिल्मों में काम किया. उन फिल्मों में ‘सावित्री’, ‘निर्मला’, ‘इज्जत’ आदि शामिल हैं. बांबे टॉकीज की फिल्म  ‘किस्मत’ मील का पत्थर साबित हुई. ज्ञान मुखर्जी निर्देशित ‘किस्मत’ हिंदी सिनेमा की बहुचर्चित फिल्मों में से एक है.
एक ओर इसमें नायक अशोक कुमार एंटी हीरो की भूमिका में थे वहीं कवि प्रदीप के गानों में राष्ट्रवाद भी परोक्ष रूप से प्ररिलक्षित होता था. यह फिल्म जब प्रदर्शित हुई, उस समय दूसरा वि युद्ध चल रहा था और ब्रिटेन युद्ध में जर्मनी एवं जापान जैसे देशों से जूझ रहा था. 
इस फिल्म का एक गाना ‘दूर हटो ऐ दुनियावालों हिन्दुस्तान हमारा है’ काफी हिट हुआ. इसी गाने में आगे जर्मनी और जापान का भी जिक्र  आता है. दरअसल अंग्रेजों की सख्त सेंसरशिप से बचने के लिए उन दोनों देशों का नाम लिया गया था और इसमें परोक्ष रूप से अंग्रेजों से भी भारत छोड़ कर जाने का कहा गया था.
इसके बाद अशोक कुमार की एक ओर चर्चित फिल्म ‘महल’ आई जिसमें उन्होंने अपेक्षाकृत नई नायिका मधुबाला के साथ काम किया. अशोक कुमार ने अपने दौर की नायिकाओं के अलावा बाद की पीढ़ी की चर्चित तारिकाओं के साथ भी काम किया. उनकी चर्चित फिल्मों में ‘पाकीजा’, ‘बहू बेगम’, ‘आरती’, ‘चलती का नाम गाड़ी’, ‘आशीर्वाद’ आदि शामिल हैं.
 उम्र बढ़ने के साथ ही अशोक कुमार ने चरित्र भूमिकाएं निभानी शुरू कर दी. इन भूमिकाओं में भी उन्होंने अपनी एक अलग छाप छोड़ी. उन्होंने कुछ एक फिल्मों में विलेन की भूमिका की. ऐसी ही एक चर्चित फिल्म देव आनंद और वैजयंती माला अभिनीत ‘ज्वैल थीफ’ थी.