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ब्रिटेन ने भी समझी नरेंद्र मोदी की अहमियत

ब्रिटेन ने मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के बहिष्कार के दस साल पुराने दौर को समाप्त करते हुए गुरुवार को उनके प्रति अपनी नीति में बदलाव की घोषणा की । गुजरात चुनाव से ठीक पहले की गई इस घोषणा से मोदी गदगद हैं और उन्होंने 'देर आए, दुरुस्त आए' कहते हुए ब्रिटेन के इस कदम का स्वागत किया है।
ब्रिटेन ने घोषणा की कि उसने भारत स्थिति अपने उच्चायुक्त को गुजरात जाकर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने
व आपसी हित और निकट सहयोग की संभावना तलाशने को कहा है। ब्रिटेन के विदेश कार्यालय मंत्री हुगो स्विरे ने एक बयान में कहा, 'मैंने नई दिल्ली स्थित ब्रिटिश उच्चायुक्त जेम्स बेवन को गुजरात जाने और मुख्यमंत्री मोदी एवं राज्य की अन्य नामचीन हस्तियों से मिलने को कहा है। इससे हमें आपसी हित के व्यापक मुद्दों पर विचार-विमर्श और निकट सहयोग के अवसर तलाशने का मौका मिलेगा। यह कदम ब्रिटिश सरकार की भारत के साथ द्विपक्षीय संबंध बेहतर बनाने की घोषित नीति के अनुकूल होगा।' स्विरे ने कहा कि ब्रिटेन का गुजरात के कई क्षेत्रों में रुचि है। हम ब्रिटेन के उन नागरिकों के परिवारों को न्याय दिलाना चाहते हैं कि जिनकी वर्ष 2002 में हत्या कर दी गई थी। हम गुजरात में मानवाधिकारों और अच्छे प्रशासन का समर्थन करना चाहते हैं। हम गुजरात में रहने वाले, वहां काम करने वाले या वहां की यात्रा करने वाले ब्रिटिश नागरिकों को और ब्रिटेन में एक सर्वाधिक सफल और सक्रिय समुदाय के रूप पहचान बना चुके गुजरातियों को अच्छे से अच्छे ढंग से सहायता करना चाहते हैं। स्विरे ने कहा कि उच्चायुक्त के गुजरात दौरे के आलोक में हम विचार करेंगे कि किस तरह हम सर्वाधिक बेहतर ढंग से गुजरात के साथ अपने संबंध को आगे ले जा सकते हैं।' वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के बाद ब्रिटेन द्वारा बहिष्कृत मोदी ने सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर लिखा है, मैं गुजरात के साथ ब्रिटिश सरकार के संबंध मजबूत करने और सक्रिय सहयोग का स्वागत करता हूं। ईश्वर महान है। उल्लेखनीय है कि मोदी वर्ष 2003 के बाद ब्रिटेन नहीं गए हैं।