नेपाल में नए संविधान पर सहमति न बन पाने के बाद प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टाराई ने नए चुनाव की घोषणा की है. उन्होंने इसके लिए 22 नवंबर की तारीख का प्रस्ताव रखा है.
टेलीविजन पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में चुनाव ही असली परीक्षा होती है. उन्होंने तय समयसीमा पर नया संविधान न बन पाने पर खेद जताया.
उन्होंने लोगों से अपील की कि वे इस बार बुद्धिमानी से मतदान करें खासकर इस बार के विभाजित जनादेश को देखते हुए.
लेकिन इस बीच सत्ताधारी गठबंधन में शामिल दूसरी बड़ी पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएमएल) ने नए चुनाव की घोषणा पर सरकार के अधिकार पर ही सवाल उठा दिया है.
उप प्रधानमंत्री समेत नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) के मंत्री कैबिनेट की आपात बैठक से उठकर चले गए. उन्होंने नए चुनाव कराने के फैसले का विरोध किया.
लेकिन प्रधानमंत्री के मुख्य राजनीतिक सलाहकार देवेंद्र पौडेल ने कहा है कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के नवंबर में दिए गए फैसले के आधार पर ही नए चुनाव की घोषणा की है.
उन्होंने बताया कि पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान सभा के कार्यकाल को बढ़ाने से इनकार किया था और कहा था कि सरकार नए चुनाव करा सकती है.
ये भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि संविधान सभा को भंग करने से प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के बीच सत्ता संघर्ष भी हो सकता है.