बहु चर्चित फिल्म "पिप्पली लाइव" के गाने " मोर सैंया बहुत ही कमात है, पर महंगाई डायन खाए जात है" की सभी लाइनें वर्तमान समय में लगातार बढ़ रही महंगाई के इस दौर में पूरी तरह से सटीक बैठती है। महंगाई की मार न सिर्फ गरीब एवं मध्यमवर्गीय बल्कि अमीरों के घरेलू बजट पर भी पड़ी है। अमीरों की बासमती से लेकर गरीबों के चूड़ा-गुड़ तक के दामों में वृद्धि होने का सिलसिला जारी है। इधर, पेट्रोलियम पदार्थो में हुई वृद्धि से भले ही वाहनों की रफ्तार में कमी नही आई हो, लेकिन गैस से लेकर खाद्य पदार्थो की कीमतों में वृद्धि से घरेलू चक्की की रफ्तार धीमी पड़ गई है। मूल्य वृद्धि का यह आलम है कि एक माह पूर्व जिस खाद्य पदार्थ के दाम 25 रुपये थे उसका मूल्य अभी 35 रुपये पहुंच गया है। मसालों के दामों में भी उछाल आने से सब्जियों का स्वाद फीका हो गया है। वहीं साग सब्जियों के दामों में भी आग लगी हुई है।
वैदेही गुरुकुल
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