बचपन के दोस्तों ने याद किया देशभक्त शहीद प्रभाकर सिंह को
नव-बिहार समाचार, नवगछिया (भागलपुर)। नवगछिया अनुमंडल के रंगरा प्रखंड में एक गांव है मदरौनी। यहीं की मिट्टी में पैदा हुए, खेले, पले और अपने जज्बे एवं जुनून को मंजिल तक पहुंचाया शाहिद प्रभाकर सिंह ने।जिसने मात्र 23 साल की अपनी जवानी में ही ऑपरेशन कारगिल विजय के दौरान 11 जुलाई 1999 को भारत माता की रक्षा की खातिर अपने को कुर्बान कर दिया। इसी दौरान 26 जुलाई 1999 को हमारे वीर जवानों ने पाकिस्तान को धूल चटाकर कारगिल में तिरंगा लहराया था।
ऑपरेशन कारगिल विजय में कम उम्र के शहीद हुए वीर योद्धाओं में रंगरा चौक प्रखंड के मदरौनी निवासी गनर प्रभाकर सिंह भी थे। 25 जुलाई 1976 को इनका जन्म हुआ था। 1995 में सेना ज्वाइन किए। चार साल बाद ही कारगिल युद्ध हो गया। 11 जुलाई 1999 को वतन की खातिर खुद को कुर्बान दिया।
मदरौनी गांव के ही दोस्त रोशन सिंह, भाष्कर सिंह, विभांशु सिंह, सुधांशु सिंह ने बचपन के साथी की यादों को ताजा करते हुए बताया कि प्रभाकर ने वापस लौटकर आने का वादा किया था, जो निभाया भी। लेकिन, आने का अंदाज निराला था। वे लौटे, मगर लकड़ी के ताबूत में। उसी तिरंगे में लिपटे हुए, जिसकी रक्षा की सौगंध दोस्त ने उठाई थी। तिरंगा के आगे प्रभाकर का माथा हमेशा सम्मान से झुका होता था, वही तिरंगा मातृभूमि के इस जाबांज से लिपटकर उस दिन उनकी गौरवगाथा का बखान कर रहा था। वह गांव का ही नहीं देश का बेटा था, जिस पर हमलोगों को हमेशा गर्व रहेगा।