विश्व के लिए उपहार है भारत की आध्यात्मिक संपदा: स्वामी आगमानंद महाराज
नव-बिहार समाचार, भागलपुर। स्वामी विवेकानंद के सशक्त संबोधनों से एवं उनके द्वारा भारतीय संस्कृति को मिलने वाले अप्रतिम महत्व से भारतवासियों की दीर्घकालीन निंद्रा टूटी। उन्हें अपने गौरव व अस्मिता का बोध हुआ। उन्हें लगा कि वे दीन-हीन नहीं हैं, उनके पास संसार को देने के लिए बहुत है। धर्म महासभा में स्वामी जी ने सिद्ध कर दिया कि शुद्धता, पवित्रता और दयालुता किसी एक संप्रदाय की ही संपत्ति नहीं है। भारत के पास ऐसी आध्यात्मिक संपदा है जो विश्व के लिए एक अनुपम उपहार है। ये बातें श्रीशिवशक्ति योगपीठ नवगछिया के पीठाधीश्वर परमहंस स्वामी आगमानंद ने विवेकानन्द केंद्र कन्याकुमारी की भागलपुर शाखा की ओर से विश्व बन्धुत्व दिवस पर तिलकामांझी स्थित शीला विवाह भवन परिसर में आयोजित कार्यक्रम में प्रवचन के दौरान कही।
इससे पहले कार्यक्रम का शुभारंभ भवानी दीदी ने तीन ॐ प्रार्थना से किया। विषय प्रवेश प्रांत संपर्क प्रमुख डॉ विजय कुमार वर्मा ने किया। उन्होंने कहा कि विश्व धर्म सम्मेलन में स्वामी विवेकानंद जी मानो भारतवर्ष के साक्षात विग्रह थे। केंद्र परिचय विनीता सिन्हा ने दिया। उन्होंने कहा कि केंद्र एक भारत विजयी भारत के लिए ही स्तर पर कार्य कर रहा है। धन्यवाद ज्ञापन नगर संचालक डॉ गुरुदेव पोद्दार ने किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो मिहिर मोहन मिश्र ने किया।