मधेपुरा ( नवबिहार न्यूज नेटवर्क) : भारत के पूर्व राष्ट्रपति डा.सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती भागलपुर और मधेपुरा जिले के विभिन्न विद्यालयों में भी शिक्षक दिवस के रुप में बड़े ही धूमधाम
के साथ मनायी गयी। इस मौके पर कई विद्यालयों में विचार गोष्ठी का भी आयोजन किया गया।मध्य विद्यालय चौसा, कन्या मध्य विद्यालय चौसा, जनता उच्च विद्यालय, उत्क्रमित मध्य विद्यालय लक्ष्मीनिया, जीवन ज्योति पब्लिक स्कूल समेत कई विद्यालय में शिक्षक दिवस समारोह का आयोजन किया गया। आयोजित समारोह को सम्बोधित करते हुए प्रधानाध्यापक प्रमोद पासवान, बीआरपी श्री प्रभाष कुमार यादव ने कहा कि डा.सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक महान व्यक्ति थे। वे काफी कर्मठ एव कुशल नेतृत्व कर्त्ता थे। जिसकी बदौलत वे शिक्षक से राष्ट्रपति तक के पद को सुशोभित किये। हमें भी उनके मार्ग पर चलकर देश और समाज की सेवा करनी चाहिये। शिक्षक प्रणव कुमार, मंजर इमाम, शमशाद नदाफ, फैयाज अहमद, नुजहत परवीन, रीणा कुमारी, श्वेता कुमारी ने कहा कि बचपन से किताबें पढने के शौकीन डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्म तमिलनाडु के तिरुतनी गॉव में 5 सितंबर 1888 को हुआ था। साधारण परिवार में जन्में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का बचपन तिरूतनी एवं तिरूपति जैसे धार्मिक स्थलों पर बीता । वह शुरू से ही पढाई-लिखाई में काफी रूचि रखते थे।स्कूल के दिनों में ही डॉक्टर राधाकृष्णन ने बाइबिल के महत्त्वपूर्ण अंश कंठस्थ कर लिए थे , जिसके लिए उन्हें विशिष्ट योग्यता का सम्मान दिया गया था। कम उम्र में ही स्वामी विवेकानंद और वीर सावरकर को पढा तथा उनके विचारों को आत्मसात भी किया।
कन्या मध्य विद्यालय के एचएम भैरवानंद योगी ने कहा कि ऐसी महान विभूति का जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाना हम सभी के लिये गौरव की बात है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के व्यक्तित्व का ही असर था कि 1952 में आपके लिये संविधान के अंतर्गत उपराष्ट्रपति का पद सृजित किया गया और वे स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रपति बने। 1962 में राष्ट्रपति बने तब कुछ शिष्यों एवं प्रशंसकों ने उनसे निवेदन किया कि वे उनका जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाना चाहते हैं। तब डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी ने कहा कि मेरे जन्मदिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने से मैं अपने आप को गौरवान्वित महसूस करूंगा। तभी से 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। शिक्षक याहिया सिद्दिकी ने कहा कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी ज्ञान के सागर थे। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का मानना था कि व्यक्ति निर्माण एवं चरित्र निर्माण में शिक्षा का विशेष योगदान है। वैश्विक शान्ति, वैश्विक समृद्धि एवं वैश्विक सौहार्द में शिक्षा का महत्व अतिविशेष है। उच्चकोटी के शिक्षाविद् डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को भारत के प्रथम राष्ट्रपति महामहीम डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने भारत रत्न से सम्मानित किया।
उत्क्रमित मध्य विद्यालय लक्ष्मीनिया के एचएम सुभाषचंद्र सिंह,शिक्षक विनय कुमार, अज़हरुद्दीन, जनता उच्च विद्यालय चौसा के एचएम दयानंद यादव ने कहा कि राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के महान विचारों को ध्यान में रखते हुए शिक्षक दिवस के पुनीत अवसर पर हम सब ये प्रण करें कि शिक्षा की ज्योति को ईमानदारी से अपने जीवन में आत्मसात करेंगे क्योंकि शिक्षा किसी में भेद नही करती, जो इसके महत्व को समझ जाता है वो अपने भविष्य को सुनहरा बना लेता है। जीवन ज्योति पब्लिक डायमंड स्कूल में आशीष कुमार और गुप्त एजुकेशन पॉइंट चौसा गौतम कुमार गुप्त के नेतृत्व में शिक्षक दिवस का आयोजन किया गया।इसके अलावे जिले के
विभिन्न विद्यालय में आयोजित समारोह में शिक्षक समेत दर्जनों बच्चो ने राधाकृष्णन जी के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित किया और उनके व्यक्तितित्व एव कृतित्व पर प्रकाश डाला।