नवगछिया का एक मात्र अनुमंडलिय हॉस्पिटल ऐसी जगह है जहां इस भीषण गर्मी में जब सूखने लगता है हलक तो खोजने पर भी नहीं मिलता पानी के लिये एक अदद चापाकल । जहां प्रतिदिन तीन सौ से चार सौ मरीज सिर्फ आउट डोर में अपना इलाज कराने आते हैं। इसके अलावा यहाँ दो से तीन दर्जन माताएँ प्रसव कराने को भर्ती रहती हैं। और तो और लगभग रोजाना सड़क दुर्घटना के घायल लोगों को इलाज के लिये लाया जाता है। साथ ही यहा पोस्टमार्टम के लिए भी अनुमंडल भर की लाश के साथ आते हैं दर्जनों परिजन। सभी इस अनुमंडलीय अस्पताल परिसर में पानी की एक एक बूंद को तरसते रहते हैं।
यह आलम यहा तब है जबकि यहाँ कई बार चापाकल लगाए भी गये। लेकिन सबके सब बेकार होते गये। और तो और मजे की बात यह है कि अस्पताल परिसर में चौबीसों घंटे चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मी के अलावा सुरक्षा गार्ड भी तैनात रहते है। इसके बावजूद भी सभी चापाकल के हेड तुरंत ही गायब हो जाते हैं। जिसकी प्राथमिकी भी दर्ज नहीं करायी जाती है। इस हालत में एक ही सवाल पैदा होता है कि इस भीषण गर्मी में कैसे बुझेगी मरीजों और परिजनों के हलक की प्यास।