भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट की पूर्व जज निर्मल यादव को सुप्रीम कोर्ट से एक बार फिर निराशा हाथ लगी है। सुप्रीम कोर्ट ने निर्मल यादव के खिलाफ आरोप तय करने पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया है। न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ ने न सिर्फ पूर्व जज की याचिका खारिज की बल्कि बार-बार अदालतों में याचिका दाखिल कर सुनवाई में देरी करने पर नाराजगी भी जताई। इससे पहले यादव के वकील ने निचली अदालत को आरोप तय करने से रोकने की मांग करते हुए कहा कि पूर्व जज के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए कोई सुबूत नहीं हैं। लेकिन कोर्ट वकील की दलीलों से संतुष्ट नहीं हुआ और रोक लगाने से इन्कार करते हुए याचिका खारिज कर दी।
भ्रष्टाचार का यह मामला 2008 का है जब निर्मल यादव पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट की जज थीं। 13 अगस्त, 2008 को हाई कोर्ट की ही एक अन्य न्यायाधीश निर्मलजीत कौर के आवास पर 15 लाख रुपये भेजे गए। जस्टिस कौर ने मामले की शिकायत पुलिस में की। जांच में पता चला कि रकम जस्टिस निर्मल यादव के आवास पर जानी थी, लेकिन गलती से जस्टिस निर्मलजीत कौर के घर चली गई। मामले पर काफी बवाल हुआ और बाद में जांच सीबीआइ को सौंप दी गई। इस बीच निर्मल यादव हाई कोर्ट के न्यायाधीश पद से सेवानिवृत हो गईं। सीबीआइ ने निर्मल यादव व अन्य अभियुक्तों के खिलाफ अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया। सीबीआइ की विशेष अदालत ने गत 31 जुलाई को अभियुक्तों को प्रथम दृष्टया दोषी पाते हुए आरोप तय करने के आदेश दिए थे। पूर्व जज आरोप तय करने के आदेश के खिलाफ पहले हाई कोर्ट गई लेकिन हाई कोर्ट ने 22 नवंबर को उनकी याचिका खारिज कर दी थी, जिसके खिलाफ वे सुप्रीम कोर्ट आई थीं।