उत्तराखंड
की केदारघाटी में कुदरत ने किस कदर कहर बरपाया है, यह वहां से बचकर निकली
एक महिला श्रद्धालु ने बयां किया है। बबीता मोदी नाम की इस महिला ने
देहरादून में बताया कि केदारघाटी में सैलाब के
समय उन्होंने कई लोगों को बहते देखा। केदारनाथ से आते समय उन्होंने हजारों शव जहां-तहां बिखरे देखे। उन्होंने केदारनाथ में कम से कम दो हजार लोगों के मरने की आशंका जाहिर की है। बकौल बबीता केदारनाथ मंदिर को भारी नुकसान हुआ है। केदारनाथ मंदिर के परिसर में मौजूद नंदी और मंदिर के अंदर पांडवों की मूर्ति बह गई हैं। मंदिर के अंदर बस शिवलिंग ही बचा है।
उस रात बिरला गेस्ट हाउस में रुकीं बबीता मोदी ने एक टीवी चैनल को बताया, '16 तारीख को रात आठ बजे पानी का सैलाब आया। हम लोग मंदिर के बिल्कुल पास बिड़ला गेस्ट हाउस में रुके हुए थे। हम आपस में बात ही कर रहे थे कि तभी अचानक कमरे में पानी भरने लगा। हमारे दो लोग पानी के साथ ही बह गए। हम किसी तरह दूसरे फ्लोर पर भागकर गए। इसके बाद हम कपड़ों की रस्सी बनाकर गेस्टहाउस से नीचे कूदे और मंदिर की ओर भागे। हमारे बह गए साथी हमें मंदिर में मिले। सोमवार सुबह साढ़े छह बजे फिर पानी का सैलाब आया। उसने मंदिर को तबाह कर दिया। उस समय हम पास ही पंडित के घर पर थे। सुबह जिन लोगों ने मंदिर में शरण ली हुई थी उनमें से अधिकांश बह गए। जो किसी चीज को पकड़ पाए वही बचे। वहां 7 फीट तक पानी भर गया था।'
बबीता ने केदारनाथ मंदिर की हालत का जिक्र करते हुए बताया, 'मंदिर के अंदर शिवलिंग है, लेकिन नंदी की मूर्ति टूट गई है। मंदिर के अंदर सात फीट तक बालू भर गया है। मंदिर के बाहर वाला कमरा जहां पांडवों की मूर्ति लगी है उसे भारी नुकसान हुआ है। मंदिर के बीच में शिवलिंग को छूकर पानी बाहर निकल गया। सैलाब में शिवलिंग ही बचा रह गया। मंदिर के दरवाजे टूट चुके हैं।' उन्होंने बताया कि सुबह के सैलाब के बाद बाकी की दो रात उन्होंने मंदिर में गुजारी। वे मंदिर के अंदर मिट्टी में सोते थे। इसके बाद दो दिन बिना खाए मंदिर में गुजारे।
हजारों लोगों के मरने की आशंकाः आपदा विभाग ने गृह मंत्रालय को जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें मरने वालों की तादाद हजारों में होने की आशंका जताई गई है। गौरतलब है कि अभी मरने वालों का आधिकारिक आंकड़ा 150 तक ही है, लेकिन अभी तक 70 हजार से ज्याद लोग लापता हैं। इस 'हिमालयी सूनामी' से बचकर आए यात्री भी जो हालात बयां कर रहे हैं, वही भी मृतकों का तादाद कई गुना होने की तस्दीक करता है।
केदारनाथ में यात्रियों से भरीं 90 धर्मशालाएं तबाहः केदारनाथ में यात्रियों से ठसाठस भरीं 90 धर्मशालाएं पूरी तरह से तबाह हो गई हैं। इसके आलावा भारत सेवा आश्रम, काली कमली धर्मशाला, गढ़वाल मंडल विकास निगम के गेस्ट हाउस का कोई अता-पता नहीं है। इनमें हजारों की संख्या में यात्री ठहरे हुए थे। अधिकारियों के मुताबिक इनमें किसी के बचे होने की संभावना बेहद कम है। गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक केदारनाथ के आसपास 60 गांवों का भी कोई अता-पता नहीं है।
गढ़वाल मंडल के कमिश्नर सुवर्धन ने बताया कि केदारनाथ में करीब 1 हजार लोग अभी भी लापता हैं। केदारनाथ के करीब 100 पुजारियों का कोई पता नहीं है। उन्होंने कहा कि गुप्तकाशी, कुंड और अगस्त्य मुनि में अभी तक राहत टीम पहुंच ही नहीं पाई है। रामबाड़ा के 1 हजारा व्यापारियों का भी कोई अता-पता नहीं है।
मैं लाशों को तैरते देख रहा था: उस रात तबाही का मंजर क्या था यह किसी तरह बचे केदारनाथ गांव के रहने वाले सोहन सिंह नेगी ने बयां किया। उन्होंने बताया, 'मैंने खुद अपनी आंखों के सामने 60 लाशों को तैरते हुए देखा। करीब 200 लोग ऐसे हैं जिनको मैं जानता हूं, लेकिन उनका कहीं कोई अता पता नहीं है।'
समय उन्होंने कई लोगों को बहते देखा। केदारनाथ से आते समय उन्होंने हजारों शव जहां-तहां बिखरे देखे। उन्होंने केदारनाथ में कम से कम दो हजार लोगों के मरने की आशंका जाहिर की है। बकौल बबीता केदारनाथ मंदिर को भारी नुकसान हुआ है। केदारनाथ मंदिर के परिसर में मौजूद नंदी और मंदिर के अंदर पांडवों की मूर्ति बह गई हैं। मंदिर के अंदर बस शिवलिंग ही बचा है।
उस रात बिरला गेस्ट हाउस में रुकीं बबीता मोदी ने एक टीवी चैनल को बताया, '16 तारीख को रात आठ बजे पानी का सैलाब आया। हम लोग मंदिर के बिल्कुल पास बिड़ला गेस्ट हाउस में रुके हुए थे। हम आपस में बात ही कर रहे थे कि तभी अचानक कमरे में पानी भरने लगा। हमारे दो लोग पानी के साथ ही बह गए। हम किसी तरह दूसरे फ्लोर पर भागकर गए। इसके बाद हम कपड़ों की रस्सी बनाकर गेस्टहाउस से नीचे कूदे और मंदिर की ओर भागे। हमारे बह गए साथी हमें मंदिर में मिले। सोमवार सुबह साढ़े छह बजे फिर पानी का सैलाब आया। उसने मंदिर को तबाह कर दिया। उस समय हम पास ही पंडित के घर पर थे। सुबह जिन लोगों ने मंदिर में शरण ली हुई थी उनमें से अधिकांश बह गए। जो किसी चीज को पकड़ पाए वही बचे। वहां 7 फीट तक पानी भर गया था।'
बबीता ने केदारनाथ मंदिर की हालत का जिक्र करते हुए बताया, 'मंदिर के अंदर शिवलिंग है, लेकिन नंदी की मूर्ति टूट गई है। मंदिर के अंदर सात फीट तक बालू भर गया है। मंदिर के बाहर वाला कमरा जहां पांडवों की मूर्ति लगी है उसे भारी नुकसान हुआ है। मंदिर के बीच में शिवलिंग को छूकर पानी बाहर निकल गया। सैलाब में शिवलिंग ही बचा रह गया। मंदिर के दरवाजे टूट चुके हैं।' उन्होंने बताया कि सुबह के सैलाब के बाद बाकी की दो रात उन्होंने मंदिर में गुजारी। वे मंदिर के अंदर मिट्टी में सोते थे। इसके बाद दो दिन बिना खाए मंदिर में गुजारे।
हजारों लोगों के मरने की आशंकाः आपदा विभाग ने गृह मंत्रालय को जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें मरने वालों की तादाद हजारों में होने की आशंका जताई गई है। गौरतलब है कि अभी मरने वालों का आधिकारिक आंकड़ा 150 तक ही है, लेकिन अभी तक 70 हजार से ज्याद लोग लापता हैं। इस 'हिमालयी सूनामी' से बचकर आए यात्री भी जो हालात बयां कर रहे हैं, वही भी मृतकों का तादाद कई गुना होने की तस्दीक करता है।
केदारनाथ में यात्रियों से भरीं 90 धर्मशालाएं तबाहः केदारनाथ में यात्रियों से ठसाठस भरीं 90 धर्मशालाएं पूरी तरह से तबाह हो गई हैं। इसके आलावा भारत सेवा आश्रम, काली कमली धर्मशाला, गढ़वाल मंडल विकास निगम के गेस्ट हाउस का कोई अता-पता नहीं है। इनमें हजारों की संख्या में यात्री ठहरे हुए थे। अधिकारियों के मुताबिक इनमें किसी के बचे होने की संभावना बेहद कम है। गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक केदारनाथ के आसपास 60 गांवों का भी कोई अता-पता नहीं है।
गढ़वाल मंडल के कमिश्नर सुवर्धन ने बताया कि केदारनाथ में करीब 1 हजार लोग अभी भी लापता हैं। केदारनाथ के करीब 100 पुजारियों का कोई पता नहीं है। उन्होंने कहा कि गुप्तकाशी, कुंड और अगस्त्य मुनि में अभी तक राहत टीम पहुंच ही नहीं पाई है। रामबाड़ा के 1 हजारा व्यापारियों का भी कोई अता-पता नहीं है।
मैं लाशों को तैरते देख रहा था: उस रात तबाही का मंजर क्या था यह किसी तरह बचे केदारनाथ गांव के रहने वाले सोहन सिंह नेगी ने बयां किया। उन्होंने बताया, 'मैंने खुद अपनी आंखों के सामने 60 लाशों को तैरते हुए देखा। करीब 200 लोग ऐसे हैं जिनको मैं जानता हूं, लेकिन उनका कहीं कोई अता पता नहीं है।'