मैथिली, मगही, भोजपुरी, अंगिका, बज्जिाका, संथाली, मुंडारी बिहार की
प्रमुख बोलियां रही है, जो भाषा के रूप में विकसित हुई। इसमें से भोजपुरी
भारत के लिए भी महत्वपूर्ण रही है। 17 वीं शताब्दी में इसका विकास धरनी दास
एवं दरिया दास ने किया था।
आधुनिक युग में बाबू रघुवीर नारायण, महेन्द्र मिश्र व भिखारी ठाकुर समेत कई लोगों ने इस भाषा को एक नई पहचान दी। इसकी लोकप्रियता बढ़ाने में राम बचन द्विवेदी, बाबू हरिहर सिंह, आचार्य महेन्द्र शास्त्री, बाबू दुर्गा शंकर, रामेश्वर सिंह कश्यप, पांडेय कपिल, प्रो. उमाकांत वर्मा, गणेश दत्त तिवारी, डा. रंजीत पाठक, श्री जगन्नाथ, धीरेन्द्र कुमार सिन्हा, मधुकर सिंह एवं कृष्णानंदकृष्ण के अलावा कई लोगों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
भोजपुरी बिहार की एक लोकप्रिय भाषा है। यह भाषा सुदूर मारीशस, त्रिनिडाड, टोबैगो आदि देशों में भी बोली जाती है। लगभग पचास हजार वर्ग मील में फैली यह भाषा विश्व की महान भाषाओं में से एक है। तभी तो भोजपुरीत्तर क्षेत्र और विदेशों में रहकर भी लोग अपनी ही भाषा में बोलते है।
भोजपुरी की कुछ अद्भुत विशेषताएं भी है। इस भाषा की ध्वनियों में रागात्मक तत्व हैं। भोजपुरी को सर्वमान्य बनाने में उसका अन्य भाषाओं के साथ तालमेल भी एक प्रमुख पहलू है। इसमें संस्कृत के अतिरिक्त भारत की प्राय: सभी भाषाओं और विदेश की फारसी, अरबी, तुर्की, अंग्रेजी, पुर्तगीज एवं कुछ अन्य यूरोपीय भाषाओं के शब्द भी मिलते है।
इस भाषा में वैदिक शब्द भी सुरक्षित हैं। इस प्रकार भोजपुरी ने अपनी परंपरा को संजोते हुए प्रगतिशीलता और समन्वयात्मक प्रवृत्ति का भी परिचय दिया है। इसके अलावा इस भाषा में साहित्य की प्राय: सभी विधाएं मौजूद है।
एक ही भूखंड पर निवास करने वाला या एक ही भाषा बोलने वाला लोक समुदाय एक विशिष्ट संस्कृति का उत्तराधिकारी बन जाता है। विशिष्ट संस्कृति लोक समुदाय के चिंतन, अनुभूति, सौंदर्यबोध, रहन-सहन, भाषा व साहित्य में भी प्रतिबिंबित होती है। भोजपुरी इसका अन्यतम उदाहरण है।
आधुनिक युग में बाबू रघुवीर नारायण, महेन्द्र मिश्र व भिखारी ठाकुर समेत कई लोगों ने इस भाषा को एक नई पहचान दी। इसकी लोकप्रियता बढ़ाने में राम बचन द्विवेदी, बाबू हरिहर सिंह, आचार्य महेन्द्र शास्त्री, बाबू दुर्गा शंकर, रामेश्वर सिंह कश्यप, पांडेय कपिल, प्रो. उमाकांत वर्मा, गणेश दत्त तिवारी, डा. रंजीत पाठक, श्री जगन्नाथ, धीरेन्द्र कुमार सिन्हा, मधुकर सिंह एवं कृष्णानंदकृष्ण के अलावा कई लोगों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
भोजपुरी बिहार की एक लोकप्रिय भाषा है। यह भाषा सुदूर मारीशस, त्रिनिडाड, टोबैगो आदि देशों में भी बोली जाती है। लगभग पचास हजार वर्ग मील में फैली यह भाषा विश्व की महान भाषाओं में से एक है। तभी तो भोजपुरीत्तर क्षेत्र और विदेशों में रहकर भी लोग अपनी ही भाषा में बोलते है।
भोजपुरी की कुछ अद्भुत विशेषताएं भी है। इस भाषा की ध्वनियों में रागात्मक तत्व हैं। भोजपुरी को सर्वमान्य बनाने में उसका अन्य भाषाओं के साथ तालमेल भी एक प्रमुख पहलू है। इसमें संस्कृत के अतिरिक्त भारत की प्राय: सभी भाषाओं और विदेश की फारसी, अरबी, तुर्की, अंग्रेजी, पुर्तगीज एवं कुछ अन्य यूरोपीय भाषाओं के शब्द भी मिलते है।
इस भाषा में वैदिक शब्द भी सुरक्षित हैं। इस प्रकार भोजपुरी ने अपनी परंपरा को संजोते हुए प्रगतिशीलता और समन्वयात्मक प्रवृत्ति का भी परिचय दिया है। इसके अलावा इस भाषा में साहित्य की प्राय: सभी विधाएं मौजूद है।
एक ही भूखंड पर निवास करने वाला या एक ही भाषा बोलने वाला लोक समुदाय एक विशिष्ट संस्कृति का उत्तराधिकारी बन जाता है। विशिष्ट संस्कृति लोक समुदाय के चिंतन, अनुभूति, सौंदर्यबोध, रहन-सहन, भाषा व साहित्य में भी प्रतिबिंबित होती है। भोजपुरी इसका अन्यतम उदाहरण है।
