बिहार के स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिला भागलपुर के स्वास्थ्य केंद्रों में दवा फेंकने का
सिलसिला अभी भी जारी है। भागलपुर जिले के जगदीशपुर स्वास्थ्य केंद्र के बाद अब गोपालपुर स्वास्थ्य केंद्र में भी
रविवार को मेट्रोजीन सूई, स्लाइन की बोतलें, सीरिंज और हजारों स्वास्थ्य कार्ड मिलने का मामला सामने आया
हैं।
स्थिति यह है कि स्वास्थ्य कार्ड को अस्पताल के सुरक्षा गार्ड जलाकर ठंड भगा रहे हैं। हालांकि ये कार्ड कोरे हैं। स्पष्ट है कि गरीब मरीजों को दवा बांटने के प्रति स्वास्थ्य कर्मचारी कितने उदासीन हैं। एक्सपायरी दवा की बात तो छोड़ ही दें, जो दवाएं एक्सपायरी नहीं हैं उन्हें भी फेंका जा रहा है।
मामले में सिविल सर्जन डॉ. उदय शंकर ने कहा कि उन्हें अभी मामले की जानकारी नहीं मिली है। जानकारी मिलते ही जांच कराई जाएगी। दूसरी तरफ जगदीशपुर स्वास्थ्य केंद्र के लिपिक सह दवा भंडारपाल मिलन सिन्हा को 20 दिसंबर की रात 8-9 बजे के करीब स्वास्थ्य केंद्र के समीप देखा गया है। केंद्र के प्रभारी डॉ. एके मंडल द्वारा कर्मचारियों से मांगे गए स्पष्टीकरण के जबाव में यह तथ्य सामने आया है। मालूम हो कि 21 दिसंबर को संत टेरेसा स्कूल के समीप सड़क पर 14 प्रकार का दवाएं फेंकी मिलीं थीं। इसकी जांच जिलाधिकारी स्तर पर कराई गई थी। 22 दिसंबर को जब औषधि निरीक्षक केंद्र की दवा भंडार की जांच करने गए तो भंडार में ताला लगा हुआ था तथा भंडारपाल ड्यूटी पर उपस्थित नहीं था। दवा भंडार को सील कर दिया गया है। डॉ. मंडल ने केंद्र के चिकित्सक समेत कर्मचारियों से यह पूछा था कि भंडारपाल को स्वास्थ्य केंद्र के समीप देखा गया है या नहीं। स्पष्टीकरण का जो जबाव मिला वह भी चौंकाने वाला है। इससे यह साबित होता है कि फेंकी गई दवाएं स्वास्थ्य केंद्र की ही हो सकती हैं। स्वास्थ्य केंद्र के डॉ. रविश कुमार, कर्मचारी मुकेश तांती, सदानंद ठाकुर ने स्पष्टीकरण के जबाव में यह स्वीकार किया है कि भंडारपाल मिलन सिन्हा को 20 दिसंबर की रात करीब 8 से 9 बजे के बीच स्वास्थ्य केंद्र में देखा गया है। यह भी बताया गया कि भंडारपाल के साथ दीपक कुमार भी था। हालांकि एएनएम उषा मुर्मू और कर्मचारी शिवपूजन को रविवार को स्पष्टीकरण के बाबत पत्र दिया गया है। इनका अभी जबाव नहीं मिला है।
वहीं रविवार को गोपालपुर स्वास्थ्य केंद्र में अगस्त 2012 में 100 से ज्यादा एक्सपायर मेट्रोजीन सूई फेंकी हुई मिली। साथ में 100 से ज्यादा डीएनएस स्लाइन की बोतलें और हजारों स्वास्थ्य कार्ड मिले। अस्पताल के सुरक्षा गार्ड स्वास्थ्य कार्ड को जलाकर ठंड भगा रहे थे।
स्थिति यह है कि स्वास्थ्य कार्ड को अस्पताल के सुरक्षा गार्ड जलाकर ठंड भगा रहे हैं। हालांकि ये कार्ड कोरे हैं। स्पष्ट है कि गरीब मरीजों को दवा बांटने के प्रति स्वास्थ्य कर्मचारी कितने उदासीन हैं। एक्सपायरी दवा की बात तो छोड़ ही दें, जो दवाएं एक्सपायरी नहीं हैं उन्हें भी फेंका जा रहा है।
मामले में सिविल सर्जन डॉ. उदय शंकर ने कहा कि उन्हें अभी मामले की जानकारी नहीं मिली है। जानकारी मिलते ही जांच कराई जाएगी। दूसरी तरफ जगदीशपुर स्वास्थ्य केंद्र के लिपिक सह दवा भंडारपाल मिलन सिन्हा को 20 दिसंबर की रात 8-9 बजे के करीब स्वास्थ्य केंद्र के समीप देखा गया है। केंद्र के प्रभारी डॉ. एके मंडल द्वारा कर्मचारियों से मांगे गए स्पष्टीकरण के जबाव में यह तथ्य सामने आया है। मालूम हो कि 21 दिसंबर को संत टेरेसा स्कूल के समीप सड़क पर 14 प्रकार का दवाएं फेंकी मिलीं थीं। इसकी जांच जिलाधिकारी स्तर पर कराई गई थी। 22 दिसंबर को जब औषधि निरीक्षक केंद्र की दवा भंडार की जांच करने गए तो भंडार में ताला लगा हुआ था तथा भंडारपाल ड्यूटी पर उपस्थित नहीं था। दवा भंडार को सील कर दिया गया है। डॉ. मंडल ने केंद्र के चिकित्सक समेत कर्मचारियों से यह पूछा था कि भंडारपाल को स्वास्थ्य केंद्र के समीप देखा गया है या नहीं। स्पष्टीकरण का जो जबाव मिला वह भी चौंकाने वाला है। इससे यह साबित होता है कि फेंकी गई दवाएं स्वास्थ्य केंद्र की ही हो सकती हैं। स्वास्थ्य केंद्र के डॉ. रविश कुमार, कर्मचारी मुकेश तांती, सदानंद ठाकुर ने स्पष्टीकरण के जबाव में यह स्वीकार किया है कि भंडारपाल मिलन सिन्हा को 20 दिसंबर की रात करीब 8 से 9 बजे के बीच स्वास्थ्य केंद्र में देखा गया है। यह भी बताया गया कि भंडारपाल के साथ दीपक कुमार भी था। हालांकि एएनएम उषा मुर्मू और कर्मचारी शिवपूजन को रविवार को स्पष्टीकरण के बाबत पत्र दिया गया है। इनका अभी जबाव नहीं मिला है।
वहीं रविवार को गोपालपुर स्वास्थ्य केंद्र में अगस्त 2012 में 100 से ज्यादा एक्सपायर मेट्रोजीन सूई फेंकी हुई मिली। साथ में 100 से ज्यादा डीएनएस स्लाइन की बोतलें और हजारों स्वास्थ्य कार्ड मिले। अस्पताल के सुरक्षा गार्ड स्वास्थ्य कार्ड को जलाकर ठंड भगा रहे थे।