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अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव आज, कांटे की टक्कर

भारत के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चुनाव मंगलवार को अमेरिका में सम्पन्न होने जा रहा है। इस चुनाव में 16.90 करोड़ मतदाता व्हाइट हाउस के नए निजाम, एक नए हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स, 33 सीनेटरों और हजारों स्थानीय अधिकारियों के चुनाव के लिए अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। इस पूरी चुनाव प्रक्रिया पर छह अरब डॉलर खर्च हो रहा है।
अमेरिका के राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए चल रहा प्रचार अभियान आखिरी दौर में पहुंच गया है और दोनों उम्मीदवार
बराक ओबामा तथा उनके रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी मिट रोमनी ने निर्णायक प्रांतों पर ध्यान केंद्रित किया हुआ है। इस बीच विभिन्न चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों के अनुसार दोनों उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर है।
ऐसी उम्मीदें हैं कि इस चुनाव में नजदीकी मुकाबला होगा। ऐसे में दोनों उम्मीदवार एक दूसरे के मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इस बीच ताजा ओपिनयन पोल में संभावना व्यक्त की गई है कि दोनों के बीच कांटे की टक्कर है। सीएनएन के एक नए पोल के अनुसार दोनों को 49.49 प्रतिशत मत मिल रहे हैं। पोलिटिका जार्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय के एक सर्वेक्षण के अनुसार दोनों को 48.48 प्रतिशत मत मिलते दिख रहे हैं। एक अन्य सर्वेक्षण में ओबामा को 48 प्रतिशत और रोमनी को 47 मत मिल रहे हैं। एबीसी न्यूज और वाशिंगटन पोस्ट के ताजा पोल में ओबामा को 49 प्रतिशत और रोमनी को 48 प्रतिशत मत मिलने की संभावना व्यक्त की गई है। चुनाव प्रचार थमने के बीच ही राष्ट्रपति ओबामा और रोमनी के बीच महीनों से चल रहा आरोप-प्रत्यारोप और बहस का दौर खत्म हो जाएगा। आखिरी दिन ओबामा की रणनीति पश्चिमी हिस्से के कुछ निर्णायक प्रांतों में आधार मजबूत करने की थी। उधर, ओहायो और आयोवा जैसे कुछ प्रांतों में मामूली अंतर से पीछे बताए जा रहे रोमनी ने मतदाताओं को लुभाने का प्रयास किया। कई महीनों से देश में चल रहा चुनाव प्रचार चरम पर पहुंच चुका है और घरेलू मुद्दे, खास कर देश की आर्थिक स्थिति से जुड़े मुद्दे परिदश्य पर वर्चस्व बनाए हुए हैं। पिछले दो चुनावों में जहां इराक युद्ध और अफगानिस्तान युद्ध का मुद्दा प्रचार अभियान पर छाया रहता था वहीं इस बार एजेंडा में विदेश नीति को ज्यादा जगह और महत्व नहीं मिला। चीन तथा उसकी कथित मुद्रा नीति को लेकर ओबामा और रोमनी ने एक दूसरे पर जम कर निशाना साधा। चीन की कथित मुद्रा नीति से अमेरिका की अर्थव्यवस्था और ओबामा प्रशासन की ईरान, इस्राइल तथा पश्चिम एशिया के संदर्भ में नीतियां प्रभावित हो रही हैं। बहरहाल, दूसरी प्रेसीडेन्शियल डिबेट में विदेश नीति को अधिक महत्व मिला जिससे संकेत मिला कि दोनों प्रत्याशियों में कम से कम इस मुद्दे को लेकर ज्यादा मतभेद नहीं हैं। लोकप्रियता संबंधी वोट के मामले में ओबामा और रोमनी लगभग बराबर चल रहे हैं। लेकिन चुनाव के लिए महत्वपूर्ण समझे जाने वाले राज्यों में ओबामा रोमनी से थोड़ा आगे चल रहे हैं। विश्लेषकों के अनुसार, छह नवंबर को होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव के परिणामों पर यह बढ़त असर डाल सकती है। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव जिस व्यवस्था के तहत होते हैं उसके अनुसार प्रत्येक राज्य में आबादी के आधार पर निर्वाचक मंडल (इलेक्टोरल कॉलेज) के मतों की कुछ तय संख्या होती है। इस व्यवस्था के तहत 538 निर्वाचक मंडल के मत उपलब्ध हैं और जीतने के लिए इनमें से 270 मत हासिल करना जरूरी है।