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'सत्यमेव जयते' में दिखाया गया छुआछूत का सच



आमिर खान ने 'सत्यमेव जयते' में इस बार छुआछूत का मुद्दा उठाया। उन्होंने शो में दलित समुदाय के साथ हो रहे भेदभाव और अत्याचार पर चर्चा की। दलितों साथ भेदभाव को दिखाने के लिए उन्होंने इस समुदाय के लोगों से बातचीत की और इसके विरुद्ध काम कर रहे लोगों की बातें भी सामने रखीं।सबसे पहले आमिर ने हरियाणा के वाल्मीकि समाज से ताल्लुक रखने वाली दिल्ली विश्वविद्यालय में संस्कृत की प्राध्यापिका डॉक्टर कौशल पवार से बात की। कौशल ने बताया कि बचपन में उनको कदम-कदम पर भेदभाव झेलना पड़ा।उन्होंने बताया कि उनके स्कूल में अगड़ी जातियों के बच्चों की यूनीफॉर्म सफेद या गुलाबी रंग की होती थी जबकि उनके समाज के लोग नीले रंग के कपड़े पहनते थे जिससे वे दूर से ही पहचाने जा सकें। कौशल ने इस बारे में पिता से पूछा तो उन्होंने बताया कि नीची जाति के होने के कारण ऐसा हो रहा है। कौशन ने बताया कि हरियाणा के सरकारी स्कूल में पानी का मटका रखा जाता था जिसमें वाल्मिकी समुदाय के बच्चों को पानी पीने नहीं दिया जाता था। यहीं नहीं दिल्ली के प्रतिष्ठित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में भी उनके साथ भेदभाव हुआ। ब्राह्मण सहपाठी ने उनके साथ रहने से इंकार किया। उसने काफी प्रयास किया कि वह छात्रावास का कमरा खाली कर दें। संस्कृत की पढ़ाई की बात पर भी उनको शिक्षकों ने रोकने की कोशिश की। फिर भी कौशल के पिता ने उनका हौसला बढाया।इसी तरह देश की आजादी के समय 1947 में आईएएस बनने का संकल्प लेने वाले बलवंत सिंह ने उस समय की आपबीती सुनाई। बलवंत सिंह के अनुसार आईएएस भी जातिवाद से मुक्त नहीं है। आमिर ने अपने शो में सिर्फ हिंदू जातिवाद पर बात नहीं की। उन्होंने सिखों, मुस्लिमों और ईसाइयों में भी जाति के नाम पर होने वाले भेदभाव को दिखाया।