नवगछिया में हुए प्रीतम हत्याकांड को लेकर हिन्दुस्तान में लगातार छप रही खबर सभी को हैरान कर रही है । यह कहना है मृत प्रीतम के आसाम निवासी चाचा राम मोहन भट्टाचार्य का। जिनके बयान पर नवगछिया रेल थाना में एक मामला दर्ज किया गया था। इसके अलावा नवगछिया पहुंचे एडीजी रेल पीएन राय , आईजी रेल विनय कुमार, एसपी रेल डा० सुकन पासवान और एसपी नवगछिया आनंद कुमार सिंह सहित सारा पुलिस महकमा तक ने 21 जुलाई के भागलपुर संस्करण में प्रकाशित खबर हिन्दुस्तान का खुलासा-- " 40 हजार के लिए प्रीतम को मार डाला" को एक सिरे से खारिज करते हुए कहता है कि हम लोग अपने काम पर लगे हैं। कौन क्या छाप रहा है, किस सोर्स से छाप रहा है अभी इस पर नहीं जा रहे हैं। हमारे सामने एक ही लक्ष्य है- प्रीतम के सही हत्यारे की खोज।
जबकि प्रीतम भट्टाचार्य के चाचा राम मोहन भट्टाचार्य ने मोबाइल से बताया कि नवगछिया के डीएसपी ने शुक्रवार को मुझसे बात कर चालीस हजार रुपये के होने की बात पूछी थी। जिसे मैंने साफ़ नकार दिया था। फिर आज हिंदुस्तान ने कहाँ से टिकट कटाते समय चालीस हजार रुपये होने की बात छाप दिया। जबकि आरक्षण टिकट भी रेल टिकट काउंटर का नहीं है। वो तो ई टिकट से आरक्षण था। प्रीतम का टिकट आरक्षित कोच नंबर दस के सीट नंबर छत्तीस का था। इसके बावजूद आम आदमी भी सोच सकता है कि आरक्षण टिकट कोई साधारण टिकट तो होता नहीं है , जिसे अवध आसाम एक्सप्रेस में चढ़ने से पहले टिकट कटाया गया होगा। कोई भी आरक्षण टिकट कई दिन पहले ही लेना होता है। यदि तत्काल टिकट भी लेगा तो एक दिन पहले लेना होगा। फिर यह कैसे संभव हो सकता है कि ट्रेन पर चढ़ने से पहले टिकट कटाया गया, उसके पास चालीस हजार रुपये देखे गए।
प्रीतम के चाचा ने पहले भी नवगछिया में हिन्दुस्तान के प्रति काफी नाराजगी जाहिर की थी कि बेवजह और बिना किसी सबूत के एक होनहार युवक का गलत सम्बन्ध एक युवती से होने की आशंका को छापा था। इसके अलावा भी कई तरह की मनगढ़ंत खबरों को लगातार छाप रहा है। जिससे एक सभ्य समाज के व्यक्ति की ह्त्या पर कीचड़ उछल रहा है।
वहीँ नवगछिया के एसडीपीओ रमाशंकर राय भी नवगछिया की तीन हत्याओं को बिलकुल अलग अलग घटना मान रहे हैं। जबकि हिन्दुस्तान ने इन तीनो घटना को एक ही कड़ी के तहत होने की बात प्रकाशित की है। इसके अलावा नवगछिया और भागलपुर के सारे मीडिया कर्मी भी हिन्दुस्तान की नवगछिया से मनमानी खबरों के प्रकाशन से चिंतित हैं।
नवगछिया के कई बुद्धिजीवी लोगों ने तो साफ़ शब्दों में कहा कि जिस मामले को बिहार के आला पुलिस अधिकारी खुलासा नहीं कर सके उसे हिन्दुस्तान ने अपने द्वारा खुलासा करने की बात प्रकाशित की है। इतने बड़े मीडिया हॉउस को इस तरह की खबरों पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है। ख़ास कर जहां लगातार मनमानी हो रही हो। पत्रकारिता का इस तरह का कार्य अच्छे समाज के हित में नहीं है।