नवगछिया का न्यायालय परिसर पशुओं के चारागाह बन जाता है। खासकर शाम के समय अक्सर पशुओं को विचरण करते हुए देखा जाता है। परिसर में सैकड़ों की संख्या ऊंट आ रहे है। जो शाम से लेकर सुबह तक ठहरते है। वृक्षों की टहनियों का भोजन बेरोक-टोक करते है। इनके साथ इनके रखवाले भी होते है। वे भी इनके साथ ही रात इसी परिसर में बिताते है। जिनकी संख्या बीस से तीस के आस-पास होती है। जो रास्ते में ही भोजन बनाते खाते, सोते तथा रहते है।
कहां से आते हैं ऊंट
रेगिस्तान का जहाज कहा जाने वाला ऊंट राजस्थान से आता है। जहां से जत्था के रूप में लाकर ऊंटों को सोनपुर मेला में बेचा जाता है। पुन: इस मेला से खरीद कर किशनगंज के रास्ते बंगला देश तस्करी के माध्यम से ले जाया जाता है। जो रास्ते में रूकते-रूकते जाते रहते हैं।
खुले परिसर का लेते हैं फायदा
नवगछिया न्यायालय के अधिवक्ता विभाष प्रसाद सिंह, दीपेन्द्र सिन्हा, राकेश कुमार चौधरी अध्यक्ष सत्येन्द्र नारायण चौधरी कौशल जी कहते है कि इस न्यायालय परिसर की घेराबंदी नहीं रहने के कारण खुलेपन का फायदा हर कोई उठा रहा है। जो कभी भी खतरनाक साबित हो सकता है।