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बही विकास की बयार, घर लौट रहे कामगार

दीपनारायण सिंह दीपक, खरीक |
गंगा पार के कोसी क्षेत्र की तस्वीर बदलने लगी है। पहले लोगों को रोजी रोटी की जुगाड़ में बिहार से बाहर जाना पड़ रहा था, लेकिन अब गांव में ही लोगों को काम मिलने लगे हैं। बहार कमाने गए लोग अब लौटने लगे हैं। आलम यह है कि अब निजी स्तर पर कामगारों को ढूंढना टेढ़ी खीर हो गई है। प्रखंड में पांच साल पहले बाहर कमाने गए लोगों में 80 प्रतिशत लोगों को गांव में ही नियमित रूप से मनरेगा के तहत कार्य मिल रहा है। खरीक प्रखंड में अभी कुल 18 हजार मजदूरों में 15 हजार लोगों को प्रत्यक्ष रूप से नियमित कार्य मिल रहा है। लोगों का कहना है कि बाहर अपने परिवार से दूर रह कर क्यों कमायें जब गांव में ही रोजगार मिल गया है। खरीक के ज्यादा तर पंचायतों में वर्तमान में मनरेगा के तहत कार्य करवाये जा रहे हैं जिसमें सड़क निर्माण, मिटटी भराई और पौधा रोपन, साथ ही इसके देख भाल का कार्य है। मजदूर पंकज मंडल का कहना है कि वे करीब दस साल से पंजाब में रह रहे थे इसी वर्ष घर आये तो देखा कि यहां भी उन्हें कार्य मिल सकता है। उन्होंने अपना जॉब कार्ड बनवाया और गांव में ही उसे आसानी से कार्य मिल गया। अब उन्हें दिल्ली जाने की आवश्यकता नहीं है। शिव मंडल, शंभू मंडल, राकेश मंडल आदि का भी यही कहना है। मालूम हो कि विगत दो वर्षो में बाहर रहने वाले दस हजार मजदूरों को जाब कार्ड देकर उन्हें प्रत्यक्ष रोजगार से जोड़ा गया है। इन पंचायतों में चल रहा है कार्य प्रखंड के खैरपुर, राघोपुर, उष्मानपुर, गोटखरीक, खरीक बाजार, ध्रुवगंज, तेलघी, तुलसीपुर, चोरहर, ढोढिया दादपुर, भवनपुरा, लोकमानपुर, भवनपुरा आदि पंचायतों में मनरेगा के तहत पौधा रोपन , मिट्टी भराई और सड़क निर्माण का कार्य जारी है। अब मिलेगा सात दिनों में मजदूरी अक्सर मजदूरों को शिकायत रहती थी कि उन लोगों को मजदूरी नहीं मिल पाती है लेकिन मजदूरों की ये शिकायत भी अब दूर होने वाला है। कार्य किये गये पैसे का भुगतान एक दिसंबर से सात दिनों के अंदर ही हो जाना है। मनरेगा के कार्यक्रम पदाधिकारी हंसराज कुमार ने कहा कि प्रखंड में और दस हजार नये मजदूरों को मनरेगा से रोजगार दिलाना उनका उद्देश्य है जिसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है।