बैंक ग्राहकों का सबसे ज्यादा विश्र्वसनीय कहा जाने वाला भारतीय स्टेट बैंक की विश्र्वसनीयता अब खतरे में प्रतीत होने की बात कई ग्राहकों द्वारा कही जा रही है। नवल कुमार, रतन कुमार, शंकर लाल, दीपक कुमार, प्रवीण कुमार इत्यादि दर्जनों ग्राहकों का मानना है कि भारतीय स्टेट बैंक द्वारा जब जाली नोट रिजर्व बैंक को दिया जा सकता है तो उसके सामने आम ग्राहक की क्या औकात है। जबकि ग्राहकों से लिए जाने वाले सारे नोट काफी देख परख कर लिए जाते हैं। इसके लिए उन्हें प्रशिक्षित भी किया जाता है तथा जांच के उपकरण, मशीन भी बैंक द्वारा उपलब्ध रहती है। इसके बावजूद जाली नोट का संचालन कर रिजर्व बैंक तक को भेजना एक बड़ी हिम्मत की बात है। जिसके खिलाफ नवगछिया थाना में एक प्राथमिकी संख्या 53/11 दिनांक 31 मार्च 2011 को रिवर्ज बैंक आफ इंडिया के सहायक महाप्रबंधक तपन कुमार मंडल के आवेदन पर दर्ज की गयी है। रिजर्व बैंक आफ इंडिया द्वारा दर्ज प्राथमिकी के मामले में नवगछिया शाखा प्रबंधक कैलाश पति झा एवं लेखापाल जेके रजक कहते हैं कि मामला हमारे समय का नहीं है। फिर भी बैंक की विश्र्वसनीयता के सवाल पर चुप्पी लगा लेते हैं। लेखापाल के अनुसार पकड़े गये जाली नोट अप्रचलन योग्य नोटों की गड्डी में पाये गये हैं। जो कई वर्षो पूर्व के रखे थे। उस समय जाली नोटों के पहचान के उतने साधन भी नहीं थे। इस समय हर काउंटर पर जांच मशीन लगी है। इस मामले में पुलिस उपाधीक्षक मुख्यालय अरविन्द कुमार सिंह का कहना है कि बैंक की गलती तो निश्चित ही है। चाहे वह लापरवाही हो या फिर संलिप्तता। बैंक कर्मी शक के दायरे से बाहर नहीं हैं।
वैदेही गुरुकुल
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