बंगाल की सेक्स वर्कर दशहरा पर नहीं देंगी मिट्टी, क्लब भी ठुकरा रहे सरकार का सहयोग, कारोबार पर भी असर
News Desk: पश्चिम बंगाल का दशहरा देश ही नहीं पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यहां के दशहरा में हर साल परंपरा का निर्वहन किया जाता है। जिसमें एक परंपरा यह भी रही है कि दुर्गा प्रतिमा बनाने में लगने वाली 10 तरह की मिट्टी में एक रेड लाइट एरिया की भी होती है। कोलकात्ता में महिला सेक्स वर्करों का प्रमुख केंद्र माने जानेवाले सोनागाछी के एक सेक्स वर्कर ने बताया कि वह हर साल प्रतिमा निर्माण के मिट्टी देती थी। लेकिन, इस बार वह मिट्टी नहीं देगी।
यह स्थिति सिर्फ एक सेक्स वर्कर की नहीं, यहां ऐसी कई हैं, जिनका यही कहना है।इस बार अनपढ़ महिला सेक्स वर्करों ने भी प्रतिमा निर्माण के लिए मिट्टी देने से इनकार कर दिया है। इनका कहना है कि हमें पढ़ना लिखना नहीं आता तो क्या, हम समझते भी नहीं हैं? आरजी कर मेडिकल कॉलेज कांड में अब तक मृत महिला डॉक्टर को इंसाफ नहीं मिला है। इसलिए न सिर्फ इस साल, बल्कि अगले साल भी इंसाफ नहीं मिलता है तो अगले साल भी मिट्टी नहीं देंगे। जिस तरह से महिला डॉक्टर के साथ हुई घटना को रफा दफा करने की कोशिश की गई, उससे ममता सरकार से यह सभी नाराज है।बता दें कि पश्चिम बंगाल में 7 अक्टूबर से दुर्गा पूजा शुरू होनी है। लेकिन महिला डॉक्टर से हुई घटना ने इस बार माहौल बदल दिया है। ममता सरकार दुर्गा पूजा के लिए हर इलाके के लोकल क्लब को 85 हजार रुपए देती है, लेकिन घटना के चलते कई क्लब ने ये पैसे लेने से भी इंकार कर दिया है। यहां तक कि सभी पूजा पंडालों को स्पांसरशिप से 70-80 परसेंट खर्च निकल जाता था, लेकिन इस बार इसमें भी काफी गिरावट आई है। बंगाल में हर साल दशहरा में दुर्गा पूजा की 50 हजार करोड़ रुपए का कारोबार होता है। लेकिन इस बार इस पर प्रभाव पड़ा है। साथ ही पंडाल निर्माण में लाखों मजदूर के साथ साथ ढाक बजाने वालों के काम पर भी प्रभाव पड़ा है।