संपूर्ण वसुधंरा के राजा थे भगवान राम, सृष्टि की रक्षा के लिए पी लिया जहर- स्वामी आगमानंद
राजेश कानोड़िया, (नव-बिहार समाचार) बांका। भगवान राम केवल अयोध्या या भारत के ही राजा नहीं थे बल्कि वे संपूर्ण वसुंधरा के राजा थे। दुनिया का कोई ऐसा देश या क्षेत्र नहीं है जहां प्रभु राम ना हो। वहां की संस्कृति में, जनजीवन में, आचार विचार में, सभ्यता में, भगवान श्रीराम आपको जरुर मिलेंगे। उनका हर जनमानस पर पूरा प्रभाव है। राम के उच्चारण से ही पहले मुंह खुलता है और फिर बंद हो जाता है। खुलना और बंद होना यही सृष्टि है। राम में लय होना रामायण है। ये बातें श्री रामचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने मकर संक्रांति के मौके पर बौंसी के मंदार स्थित कामधेनु मंदिर में आयोजित आध्यात्मिक कार्यक्रम के दौरान कही।
इस अवसर पर स्वामी आगमानंद जी महाराज ने कहा कि भगवान राम से त्यागमय जीवन की शिक्षा मिलती है। धर्म के रास्ते पर चलकर ही आदमी सुखी रह सकता है और राम हमें धर्म की शिक्षा देते हैं। पूजा पाठ के अलावा सेवा, दान, गरीबों का कल्याण करना ही धर्म के मार्ग है। मंदार की चर्चा करते हुए स्वामी आगमानंद जी ने कहा कि भगवान ने स्वयं अपने हाथों से मंदार को पकड़ा है, भगवान ने स्वयं तक्षक का अवतार लेकर मंदार को अपने पीठ पर बिठाया था। मंदार तीर्थ की बहुत बड़ी महिमा है। मंदार के दर्शन मात्र से जीवन का कल्याण हो जाता है। मंदार के आसपास कई तीर्थ स्थल है। प्रह्लाद प्रसंग में भी मंदार की चर्चा है। कई ग्रंथों में मंदार की व्याख्या की गई है।
इस मौके पर गीतकार राजकुमार ने अपनी रचाना सुनाकर सबको भावविभोर कर दिया। मधुर मकर संक्रांति का, मधुर यही संदेश, ऊर्जस्थित जीवन रहे ऊर्जस्थित हो देश। जलाएं दीप घर-घर में, प्रजापति राम आए हैं, तमस को ध्वस्त कर रघुवर, अयोध्याधाम आए हैं। बने मकरसंक्रांति में, जो यति जीवन-छंद, राज राममय हैं वही, दिव्य आगमानंद। इस अवसर पर डा. विजय कुमार मिश्र विरजू भाई, गीतकार राजकुमार, कुंदन बाबा, शिव प्रेमानंद, प्रेम शंकर भारती, मनोरंजन प्रसाद सिंह, अशोक सिंह, आशा ओझा, हरिशंकर ओझा, राजू सिंह, मनोहर झा, विजय सिंह, राघव सिंह आदि ने कार्यक्रम को संबोधित किया। इस आयोजन के मौके पर काफी संख्या में स्वामी आगमानंद जी महाराज के शिष्य भी पहुंचे थे। सभी लोगों ने उनसे आशीर्वाद लिया, उनकी पूजा अर्चना भी की।