मोबाइल से बच्चों को ज्ञान प्राप्त से ज्यादा नुकसान स्वास्थ्य और चरित्र का होता है- स्वामी आगमानंद
NAV BIHAR NEWS, BHAGALPUR: श्री शिवशक्ति योगपीठ नवगछिया के पीठाधीश्वर और श्री उत्तरतोताद्रि मठ विभीषणकुंड अयोध्या के उत्तराधिकारी श्री रामाचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने कहा कि बच्चों को कभी भी मोबाइल का आदत नहीं लगने दें। मोबाइल से जितना ज्ञान उसे प्राप्त होता है उससे ज्यादा नुकसान वह अपने स्वास्थ्य और चरित्र का करता है। बच्चों को स्वाध्याय की ओर प्रेरित करें। ज्यादा ट्यूशन देने से अच्छा है कि बच्चों को प्रेरित करें कि वह स्वयं पढ़ें।
श्री रामाचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज मंगलवार को भागलपुर जिले के शाहकुंड प्रखंड अंतर्गत सरौनी पंचायत के बगचप्पर गांव में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा सह महाविष्णु यज्ञ संपन्न होने के दौरान ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि भगवान का कर्तव्य है अपने भक्तों का कल्याण करना। भगवान ने कभी अपना पैर केवट से पखरवाया तो कभी स्वयं भगवान ने सुदामा के पैर को पखारा। भगवान की लीला अपरंपार है। जो मनुष्य निस्वार्थ भाव से भगवान की भक्ति में लीन रहते हैं भगवान उन्हें कभी कष्ट नहीं होने देते।
स्वामी आगमानंद जी ने कहा कि ईश्वर ने हमें बहुत कुछ दिया है। भोजन की इतनी सामग्री हमारे पास है कि अगर नियमानुसार इसका आहार करें तो हम कभी बीमार ही नहीं पड़ेंगे। उन्होंने लोगों से सात्विक भोजन करने की अपील की। साथ ही यह भी कहा कि मांसाहार न सिर्फ पाप है बल्कि हमारे स्वास्थ्य के लिए एकदम खराब है। ईश्वर ने तो हमें भोजन के लिए शुद्ध सात्विक सैकड़ों पदार्थ उपलब्ध करवाए हैं। सही तरीके से इसे पका कर खाएं। मसाले का प्रयोग कम से कम करें। देसी गाय के दूध और घी का सेवन करें। इसी क्रम में स्वामी आगमानंद जी महाराज ने कहा कि बच्चों को कभी भी मोबाइल का आदत नहीं लगने दें। मोबाइल से जितना ज्ञान उसे प्राप्त होता है उससे ज्यादा नुकसान वह अपने स्वास्थ्य और चरित्र का करता है। बच्चों को स्वाध्याय की ओर प्रेरित करें। ज्यादा ट्यूशन देने से अच्छा है कि बच्चों को प्रेरित करें कि वह स्वयं पढ़ें।
भागलपुर जिले के शाहकुंड प्रखंड अंतर्गत सरौनी पंचायत के बगचप्पर गांव में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा सह महाविष्णु यज्ञ संपन्न हो गया. मंगलवार को यज्ञ स्थल पर स्थापित सभी प्रतिमाओं का विसर्जन कर दिया गया। काफी संख्या में लोगों ने यज्ञ कुंड के भस्म को अपने माथे पर लगाया।