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गांधी जी भारत में राम राज्य स्थापित करना चाहते थे : स्वामी आगमानंद

गांधी जी भारत में राम राज्य स्थापित करना चाहते थे : स्वामी आगमानंद
नव-बिहार समाचार, भागलपुर। श्री शिवशक्ति योगपीठ नवगछिया के तत्वावधान में कवि गोष्ठी आयोजित हुई। अध्यक्षता श्री रामचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने की। कवि गोष्ठी का उद्घाटन तपेश्वर नाथ ने किया। धन्यवाद ज्ञापन नृपेंद्र प्रसाद वर्मा ने किया। कवि गोष्ठी में गीतकार राजकुमार, विद्या वाचस्पति कुल गीतकार पंडित आमोद प्रसाद मिश्र, विनय परमार, नृपेंद्र प्रसाद वर्मा, दिलीप शास्त्री ने भी गांधी-शास्त्री के अलावा देशभक्ति की कविताएं पेश की। इस गोष्ठी में गौतम सुमन, मुरारी मिश्र, जागेश्वर मंडल, मुकुल खरे, सर्वेश साह आदि मौजूद थे।
स्वामी आगमानंद जी ने सत्य-अहिंसा प्रेम भाव से, भारत स्वतंत्र करवाए, गांधी गौरव थे भारत में, जो विश्व पटल पर छाए कविता गांधी जी को समर्पित किया। उन्होंने शास्त्री जी को याद करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री शास्त्री जी ने भारत का भाग्य संवारा, जय जवान और जय किसान का दिया विश्वहित नारा। स्वामी आगमानंद जी ने कहा कि गांधी जी राम को आदर्श मानते थे। रामचरित मानस में एक चौपाई है, सब नर करहि परस्पर प्रीती, चलहि स्वधर्म निरत श्रुति। यही सोच गांधी जी का भी था। राम ने रावन को मारा तो गांधी जी ने रावन स्वरूप अंग्रेजों को भारत से भगाया। गांधी जी भारत में राम राज्य स्थापित करने के पक्षधर थे। उन्होंने कहा कि जन-जन के उत्थान के लिए उन्होंने जो कार्य किए हैं वे सबके हृदय के साम्राज्य में स्थापित हैं। उन्होंने कहा कि लाल बहादुर शास्त्री ने भारत-चीन युद्ध के बाद जो देश में विकास की गति को बढ़ा लिया। आज एनएच उन्हीं की देन है। शास्त्री जी का जीवन हमेशा देश के लिए समर्पित था।
गोष्ठी में गीतकार राजकुमार ने गांधी, शास्त्री और देशभक्ति पर आधारित कई कविताओं को सुनाया। अंगीका में उनकी स्वरचित कविता- यहीं 'राज' दू देव रोॅ, पड़लै चरण पवित्र। गुरु वशिष्ठ 'बापू' अगर, 'शास्त्री' विश्वामित्र।।'शास्त्री' विश्वामित्र, शास्त्र-शस्त्र के ज्ञाता। असुर दलोॅ केॅ, धूल चटाबै वाला त्राता।। दूनिया में पूजित छिकै, जिनखोॅ कीर्ति सचित्र। गुरु वशिष्ठ 'बापू अगर, 'शास्त्री' विश्वामित्र।। सुनकर सभी ने खूब सराहना की। इसके अलावा हिन्दी में गीतकार राजकुमार ने अपनी स्वरित कविता- गाँधी जी की स्वच्छता, 'शास्त्री' का वीरत्व। बोयेंगे ही विश्व में, निश्चित 'राज' समत्व।। भी सुनाए।