नव-बिहार समाचार (नस), भागलपुर। सृजन महाघोटाले में शामिल तत्कालीन भू-अर्जन पदाधिकारी राजीव रंजन ने ही बैंक ऑफ इंडिया में खाता खुलवाने का प्रस्ताव दिया था। इस प्रस्ताव पर 14 जुलाई 2014 को तत्कालीन जिलाधिकारी ने अपनी सहमति दी थी। घोटाले में सर्वाधिक राशि की निकासी 2014-15 में ही हुई। इससे जाहिर होता है कि तत्कालीन भू-अर्जन पदाधिकारी की मंशा साफ नहीं थी। जो अभी फरार चल रहा है।
तीन जिलाधिकारी जांच के दायरे में
इस महाघोटाले में अब तक तीन जिला अधिकारियों को जांच के दायरे में रखा गया है। इनके नामों का खुलासा नहीं किया गया है। भागलपुर में रहे जिलाधिकारी केपी रमैया भी सृजन के पक्ष में पत्र लिखने के कारण चर्चा में आ गए। इधर, एसआइटी ने सीबीआइ को ऐसे कागजात सौंपे हैं जिससे सीबीआइ टीम के अधिकारी भी हैरान हैं।
एक जिलाधिकारी को थी भनक
इस महाघोटाले की भनक भागलपुर में पदस्थापित एक जिलाधिकारी को काफी पहले मिल गई थी, लेकिन उन्होंने मामले को गंभीरता से नहीं दिया। परिणामस्वरूप महाघोटाले में शामिल लोग बेफिक्र होकर सरकारी राशि की हेराफेरी में लगे रहे। यदि उसी समय मामले को गंभीरता से लिया जाता तो शायद इस महाघोटाले का आकार इतना बड़ा नहीं होता।
जिलाधिकारियों के कार्यकाल की सौंपी गई सूची
एसआइटी ने 1997 से अबतक यहां पदस्थापित रहे सभी जिलाधिकारियों के कार्यकाल से संबंधित सूची भी तैयार की है। इस सूची को सीबीआइ को सौंपा गया है। एसआइटी ने सृजन कार्यालय से जो डायरी बरामद की है, उसमें कुछ उच्चस्तरीय प्रशासनिक अधिकारियों के नाम भी दर्ज हैं। निजी डायरी में इन अधिकारियों के नाम क्यों दर्ज किए गए हैं, यह भी जांच का विषय है।
सृजन ने खोल रखे थे दो दर्जन से अधिक खाते
सृजन महाघोटाले में शामिल लोगों की मंशा पहले से ही गड़बड़ थी। सृजन ने शहर के अलग-अलग बैंकों में दो दर्जन से अधिक खाते खोल रखे थे। एसआइटी के लिए सभी खातों की जांच कर पाना संभव नहीं था। अब सभी खातों से संबंधित जानकारी सीबीआइ को दी गई है।सीबीआइ इन खातों को खंगालेगी। इसके बाद रहस्य से पर्दा उठ पाएगा।