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भागलपुर का महाघोटाला: आखिर कैसे हुआ इतना बड़ा घोटाला

नव-बिहार न्यूज नेटवर्क, भागलपुर। अब तक तो बिहार में चारा घोटाला को ही महाघोटाला माना जाता था। लेकिन अब लगता है कि भागलपुर का सृजन घोटाला उससे भी बड़ा महाघोटाला साबित होगा। जिसकी जांच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देशानुसार शुरू की गई है। वह भी बिना किसी विलंब के तत्काल जांच टीम गठित कर विशेष जहाज से अधिकारियों को भागलपुर भेज जांच शुरू करवा दी।

भागलपुर में हुए इस सृजन महाघोटाले के तहत अबतक तो 700 करोड़ के गड़बड़ी की बात सामने आ चुकी है। यह राशि अभी और सुरसा की तरह बढ़ती नजर आ रही है। जिसका दायरा बांका और सहरसा जिला तक तो माना ही जा रहा है, जो और भी बढ़ सकता है।

इन लोगों की हो चुकी है गिरफ्तारी
इस जांच के दौरान अब तक डीएम के पीए स्टेनोग्राफर प्रेम कुमार सहित कुल सात लोग पुलिस के हिरासत में लिये जा चुके हैं। जिनमें भूअर्जन नाजिर राकेश झा और जिला परिषद के नाजिर राकेश यादव के अलावा सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड की मैनेजर सरिता झा, अंकेक्षक सतीश चंद्र झा, प्रेस संचालक वंशीधर झा इंडियन बैंक कर्मी अजय पांडेय शामिल हैं।

क्या कहते हैं जांच अधिकारी
इस घोटाले की जांच कर रहे आर्थिक अपराध इकाई के आईजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने बताया कि जिन दो विभाग जिला भू अर्जन विभाग और जिला नजारत के खातों से सरकारी राशि का गोलमाल हुआ है, उन विभाग के लेखा अधिकारी और कर्मी घोटाले में शामिल हैं। उन विभागों का खाता इंडियन बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा में है। दोनों ही बैंक के अधिकारी और कर्मी की भी संलिप्तता उजागर हुई है। दोनों ही बैंकों से सरकारी पैसा सृजन के अकाउंट में ट्रांसफर हुआ है।

कहां से गायब हुई कितनी राशि
जिला भूअर्जन विभाग से      270,03,32,693
जिला नजारत शाखा से        109,81,00,722
जिला नजारत शाखा से           14,80,38,296
मुख्यमंत्री नगर विकास योजना 10,26,58,295
सहरसा सहित अन्य जिलों से  200,00,00,000

क्या कहते हैं भागलपुर के प्रमुख व्यवसायी
इस मामले में ईस्टर्न बिहार चेम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष शैलेन्द्र सर्राफ कहते हैं कि विश्वास नहीं होता है कि भागलपुर में भी इतना बड़ा घोटाला हो सकता है। 2005 से ही घोटाला किया जा रहा है। इस बीच कितने जिलाधिकारी आए, ऑडिट हुआ। फिर भी घोटाला होते रहना आश्चर्य की बात है।

ईस्टर्न बिहार होजियरी रेडिमेड एसोसिएशन के अध्यक्ष राम गोपाल पोद्दार का मानना है कि घोटाला सामने आने से शहर की छवि खराब हुई है। लोग क्या सोचेंगे। घोटाला अकेले करना संभव नहीं है। सरकारी तंत्र भी शामिल है। जांच होनी चाहिए।

इस महाघोटाले के बारे में बिहार प्रादेशिक मारवाड़ी सम्मेलन के अध्यक्ष श्रवण बाजोरिया कहते हैं कि चलिए हमारा शहर भी अब घोटाला से अछूता नहीं रहा। कहने में शर्म भी लगती है। गरीबों की गाढ़ी कमाई ही लूट रही है। दोषी पर कार्रवाई होनी ही चाहिए।

टेक्सटाइल चेंबर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष सुनील जैन कहते हैं कि मन में क्षोभ है, विश्वास नहीं होता कि भागलपुर में भी इतना बड़ा घोटाला हो सकता है। इससे गरीबों की कमाई खतरे में पड़ जाएगी। सारे पक्षों की जांच होनी चाहिए।