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सरकारी के बाद प्राइवेट बैंकों ने ब्याज दरें घटाईं, यहां जानें पूरा जोड़-तोड़

नई दिल्ली: नोटबंदी के बाद बैंकों में करोड़ों का कैश जमा हुआ है. बैंकों में अब आम लोगों को सस्ता कर्ज देने की होड़ लग गई है. सरकारी बैंकों के बाद निजी बैंक भी
ब्याज दर कम करने लगे हैं. इसका सीधा असर आपकी ईएमआई पर पड़ेगा जो कम होने जा रही है.
नोटबंदी के बाद बैंकों में खूब पैसा जमा हुआ है. इसका फायदा अब जनता को भी दिया जाने लगा है. बैंकों में ब्याज दरें घटाने की होड़ लग गई है.
बंधन बैंक ने ब्याज दर में 1.48 फीसदी की कटौती की है.ICICI बैंक ने ब्याज दर में दशमलव सात फीसदी की कटौती की है.देना बैंक ने भी ब्याज दर दशमलव सात पांच फीसदी घटाई है.कोटक महिंद्रा बैंक ने दशमलव चार पांच फीसदी की कटौती ब्याज दर में की है.पंजाब नेशनल बैंक अब साढ़े आठ फीसदी की सालाना दर पर होम लोन देगा.SBI 30 लाख तक का लोन 8.5 फीसदी की दर से देगा.
ब्याज दरों में ये कमी नोटबंदी मे परेशान हुए लोगों के जख्मों पर मरहम ही तरह है. अब आप कम हुई ब्याज दरों का फायदे का हिसाब भी जान लीजिए.
पंजाब नेशनल बैंक की ब्याज दर 9.2 फीसदी से घटकर 8.5 फीसदी हो गई है.इस कटौती के बाद 20 साल के लिए 50 लाख रुपये के लोन की ईएमआई 45 हजार 631 से घटकर 43 हजार 391 रुपये रह जाएगी.यानी पीएनबी से लोन लेने पर हर महीने आपको 2 हजार 240 रुपये का फायदा होगा.
स्टेट बैंक देश का सबसे बड़ा बैंक है. अगर यहां से आप होम लोन लेते हैं तो उसका भी फायदा जान लीजिए.
SBI ने 30 लाख तक के होम लोन के लिए विशेष योजना शुरू की है.इस योजना में 2 साल तक ब्याज दर साढ़े आठ फीसदी होगी.दो साल के बाद ब्याज दर फ्लोटिंग हो जाएगी, यानी बाजार के हिसाब से बदलेगी.SBI ने महिलाओं को दिए जाने वाले 75 लाख रुपये तक के कर्ज की ब्याज दर भी 9.1 फीसदी से घटाकर 8.6 फीसदी कर दी है.बाकी ग्राहकों के लिए लागू ब्याज दर भी 9.15 फीसदी से घटाकर 8.65 फीसदी कर दी गई है.ब्याज दर में इस कटौती के बाद 20 साल के लिए 50 लाख के कर्ज की EMI 45 हजार 470 रुपये से घटकर 43 हजार 867 रुपये रह जाएगी.एक महीने में होगा 1603 रुपये का फायदा.
MCLR के आधार पर ब्याज दरों में कटौती
ब्याज दरों में ये कटौती मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेडिंग रेट्स यानी MCLR में कमी के आधार पर की गयी है. आम बोलचाल की भाषा में MCLR का मतलब है अलग-अलग अवधि की जमाओं की लागत. ब्याज दरें तय करने की ये व्यवस्था बीते साल पहली अप्रैल से लागू की गई है.
MCLR – अलग-अलग मियाद वाली बैंक डिपॉजिट की लागत
होमलोन या दूसरे कर्जों की ब्याज दरें MCLR में मार्जिन जोड़कर तय की जाती हैं. ये मार्जिन 20 से लेकर 65 बेसिस प्वाइंट्स का हो सकता है. आम तौर पर होम लोन या कार लोन की ब्याज दरें तय करने के लिए एक साल के MCLR को आधार बनाया जाता है.
नई ब्याज दरों का फायदा वैसे तो नए ग्राहकों को ही मिलेगा, लेकिन पुराने ग्राहक भी अपने बैंक को एप्लीकेशन देकर नई ब्याज दरों का फायदा उठा सकते हैं. हालांकि इसके लिए उन्हें कनवर्जन चार्ज के तौर पर कुछ रकम चुकानी पड़ सकती है.