जम्मू-कश्मीर में आई बाढ़ से मरने वालों की संख्या बढ़कर 160 हो गई है। राज्य पिछले 60 सालों में सबसे खराब हालात का सामना कर रहा है। आलम यह है कि 2,500 से ज्यादा गांव बाढ़ के पानी की चपेट में आ चुके हैं। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह का कहना है कि हालात पर काबू पाने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है। राजनाथ सिंह ने पत्रकारों को जम्मू एयरपोर्ट पर बताया, 'बाढ़ में 160 लोग जिंदगी गंवा चुके हैं। 60 सालों में जम्मू-कश्मीर ने इस तरह की बाढ़ नहीं देखी।' उन्होंने कहा कि 2500 से ज्यादा गांव प्रभावित हुए हैं, जिनमें से 450 पूरी तरह से पानी में डूब चुके हैं। राज्य में बाढ़ के हालात का जायजा लेने के लिए गृहमंत्री जम्मू-कश्मीर पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि श्रीनगर में उन्होंने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात करके हालात के बारे में जानकारी हासिल की। गृहमंत्री ने कहा, 'अगर शहरों में ही इतने खराब हालात हैं, तो पता नहीं ग्रामीण इलाकों की क्या स्थिति होगी।' उन्होंने कहा, 'मैं लोगों और राज्य की सरकार को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि केंद्र इस मुश्किल की घड़ी में आपके साथ खड़ा है और आपकी हर संभव मदद की जाएगी।' गृहमंत्री के साथ पीएमओ में राज्यमंत्री जीतेंद्र सिंह भी थे। बाढ़ से अभी कई गांवों के लोगों की जान पर खतरा तो बना ही हुआ है, साथ ही फसलें तक तबाह हो गई हैं। इसके साथ ही सरकारी और निजी संपत्ति को भी भारी नुकसान पुहंचा है। रेवेन्यु और रिलीफ सेक्रेटरी विनोद कौल ने जानकारी दी है कि बाढ़ में 50 पुल, सैकड़ो किलोमीटर सड़कें और बिजली के पोल या तारें वगैरह तबाह हो गए हैं। उन्होंने बताया कि बाढ़ का पानी उतरने के बाद ही असल नुकसान का अंदाजा लगाया जा सकेगा। कौल ने बताया कि कि राज्य में तुरंत 25 हजार के करीब तंबुओं और 40 हजार कंबलों की जरूरत है। एनडीआरएफ और सेना के जवान बचाव और राहत कार्य में जुटे हुए हैं।
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