ताजा समाचार :

6/Posts/ticker posts

गरीबी की नई परिभाषा: गांव में 32 और शहर में 47 रुपये रोज खर्च वाले गरीब नहीं


गरीबी रेखा पर नए सिरे से बहस शुरू हो सकती है. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक आरबीआई के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन कमेटी  ने पिछले हफ्ते मोदी सरकार के पास गरीबी रेखा पर नई रिपोर्ट पेश की है. इस रिपोर्ट के मुताबिक गांव में जो लोग 32 रुपये रोज खर्च करते हैं और शहर में जो लोग 47 रुपये रोजाना खर्च करते हैं वो गरीब नहीं हैं.
2011-12 में यूपीए सरकार के दौरान सुरेश तेंडुलकर कमेटी ने जो रिपोर्ट दी थी उसने गांवों में गरीबी रेखा की लिमिट 27 रुपये और शहरों में 33 रुपये दी थी...इस पर जमकर बवाल हुआ था और काफी आलोचना हुई थी. आपको बताते चलें कि सरकार ने पिछले साल तेंडुलकर कमिटी की रिपोर्ट की समीक्षा करने के लिए रंगराजन कमिटी बनाई थी, ताकि देश में गरीबों की सही तादाद का अनुमान लगाया जा सके.

भारत में हर 10 में से 3 व्यक्ति गरीब: रंगराजन समिति
पूर्व पीएमईएसी चेयरमैन सी. रंगराजन की अध्यक्षता वाली एक समिति ने देश में गरीबी के स्तर के तेंदुलकर समिति के आकलन को खारिज कर दिया है और कहा है कि भारत में 2011-12 में आबादी में गरीबों का अनुपात कहीं ज्यादा था और 29.5 प्रतिशत लोग गरीबी की रेखा के नीचे थे. रंगराजन समिति के अनुसार, देश में हर 10 में से 3 व्यक्ति गरीब है.
 रंगराजन समिति के अनुमानों के अनुसार, 2009-10 में 38.2 प्रतिशत आबादी गरीब थी जो 2011-12 में घटकर 29.5 प्रतिशत पर आ गई.
 इसके विपरीत तेंदुलकर समिति ने कहा था कि 2009-10 में गरीबों की आबादी 29.8 प्रतिशत थी जो 2011-12 में घटकर 21.9 प्रतिशत रह गई.

मच सकता है बवाल-
सितंबर, 2011 में तेंदुलकर समिति के अनुमानों की भारी आलोचना हुई थी. उस समय, इन अनुमानों के आधार पर सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक हलफनामे में कहा गया था कि शहरी क्षेत्र में प्रति व्यक्ति रोजाना 33 रुपये और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति रोजाना 27 रुपये खर्च करने वाले परिवारों को गरीबी रेखा से उपर समझा जाए. सरकार ने तेंदुलकर समिति के मानकों और तरीकों की समीक्षा के लिए पिछले साल रंगराजन समिति का गठन किया था ताकि देश में गरीबों की संख्या के बारे में भ्रम दूर किया जा सके. रंगराजन समिति के अनुमान के मुताबिक, कोई शहरी व्यक्ति यदि एक महीने में 1,407 रुपये (47 रुपये प्रति दिन) से कम खर्च करता है तो उसे गरीब समझा जाय, जबकि तेंदुलकर समिति के पैमाने में यह राशि प्रति माह 1,000 रुपये (33 रपये प्रतिदिन) थी.
रंगराजन समिति ने ग्रामीण इलाकों में प्रति माह 972 रुपये (32 रुपये प्रतिदिन) से कम खर्च करने वाले लोगों को गरीबी की श्रेणी में रखा है, जबकि तेंदुलकर समिति ने यह राशि 816 रपये प्रति माह :27 रपये प्रतिदिन: निर्धारित की थी.

रंगराजन समिति के अनुसार, 2011.12 में भारत में गरीबों की संख्या 36.3 करोड़ थी, जबकि 2009.10 में यह आंकड़ा 45.4 करोड़ था. तेंदुलकर समिति के अनुसार, 2009.10 में देश में गरीबों की संख्या 35.4 करोड़ थी जो 2011.12 में घटकर 26.9 करोड़ रह गई.