जैसे ही रात के 12 बजे सड़कों पर लोग ढोल नगाड़ों के साथ उतर आये और एक दूसरे को बधाईयां देने लगे। ये खुशियां किसी क्रिकेट मैच के जीत की नहीं बल्कि एक नए राज्य के गठन की थी। आज भारत के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है। 29वें राज्य के रूप में तेलंगाना राज्य का औपचारिक गठन हुआ है। तेलंगाना राज्य बनाने की मांग सर्वप्रथम 1969 में उठी थी। जिसके ठीक 45 वर्षों के बाद राज्य का गठन हुआ है। हाल के विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल करने वाली तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के नेता मंत्री पद की शपथ लेंगे।
चन्द्रशेखर राव होंगे तेलंगाना के मुख्यमंत्री
तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के अध्यक्ष के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) राज्य के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे। शेष आंध्रप्रदेश में राष्ट्रपति शासन अभी जारी रहेगा। वहां तेलुगुदेशम पार्टी (टीडीपी) के अध्यक्ष एन. चंद्रबाबू नायडु आठ जून को नए मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे। नई व्यवस्था के तहत ईएसएल नरसिम्हन दोनों राज्यों के राज्यपाल बने रहेंगे। टीआरएस ने 119 सदस्यीय तेलंगाना विधानसभा में 63 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया है।
मुख्यमंत्री बनने के बाद केसीआर तेलंगाना गठन दिवस के औपचारिक समारोह में भाग लेंगे।
सियासी बंटवारा
लोकसभा सीटें
आंध्र में लोकसभा की 42 सीटें थी। अब तेलंगाना में 17 सीटें और शेष आंध्र में 25 सीटें रहेंगी।
...और विधानसभा
आंध्र में 294 विधानसभा सीटें थी। तेलंगाना में 119 सीटें और शेष आंध्र में 175 सीटें होंगी।
जिले और कर्मचारी बंटे, राजधानी अभी एक
तेलंगाना में आंध्र के 23 में से 10 जिले होंगे हैदराबाद, आदिलाबाद, खम्मम, करीम नगर, महबूब नगर, मेंढक, नलगोंडा, निजामाबाद, रंगारेड्डी और वारंगल। 10 साल तक तेलंगाना और सीमांध्र की राजधानी रहेगा हैदराबाद। यहां प्रमुख नदियां- कृष्णा व गोदावरी है। दोनों का पानी दोनों राज्यों में बंटेगा।
कांग्रेस ने पारित कराया था बिल
तेलंगाना को अलग राज्य बनाने कांग्रेस ने सर्वप्रथम संसद में बिल पारित किया था। लेकिन हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में लोगों ने कांग्रेस को वोट नहीं दिया। तेलंगाना की मांग कर रही पार्टियों को अलग राज्य की गठन की मांग को लेकर बेहद संघर्ष के दौर से गुजरना पड़ा था।