बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू सरकार ने लंबे
समय के अपने सहयोगी बीजेपी से नाता तोड़ने के बाद बुधवार को विधानसभा में
बहुमत साबित करते हुए विश्वास मत हासिल कर लिया. नीतीश सरकार
के पक्ष में 126 वोट और विपक्ष में 24 वोट पड़े. बीजेपी के 91 सदस्यों और लोकजनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के एक विधायक ने सदन से वॉकआउट किया.
नीतीश कुमार को अपनी पार्टी जेडीयू के 117 विधायकों, 4 निर्दलीयों, 4 कांग्रेसी विधायकों और एक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विधायक का समर्थन मिला. जेडीयू का एक विधायक जेल में है. नीतीश के विश्वास प्रस्ताव के विरोध में मतदान करने वालों में आरजेडी के 22 विधायक और दो निर्दलीय विधायक शामिल हैं. वहीं, वोटिंग से पहले अपने संबोधन में नीतीश ने बीजेपी और नरेंद्र मोदी पर जमकर कटाक्ष किया.
विश्वास मत हासिल करने के दौरान नीतीश कुमार ने बीजेपी पर शब्दों के तीर चलाते हुए कहा, 'विश्वासघात दिवस' मनाने के दौरान जिस तरीके का व्यवहार हुआ और जैसी घटनाएं हुईं उससे तो यही लगा चलो अच्छा हुआ, हम अलग हो गए.'
नीतीश कुमार ने बीजेपी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि बिहार की उपलब्धियों पर इनको नाज नहीं था. बिहार के विकास का जो मॉडल है वह समाज को साथ लेकर चलने की प्रवृत्ति है. उन्होंने कहा, 'अपने विकास मॉडल में हमने कानून का राज कायम किया. इसमें हमने समाज के वंचित तबके को आगे बढ़ाने का काम किया. हमारा कार्यक्रम समावेशी है. इससे किसी की आलोचना कैसे हो सकती है? इसमें किसी को परेशानी क्यों होने लगी?'
नरेंद्र मोदी का नाम लिए बिना नीतीश ने अपने भाषण के दौरान कई बार उन पर हमला किया. उनके मुताबिक, 'हमने तो कहा कि देश का नेतृत्व ऐसे लोगों के हाथ में हो जो देश के सभी वर्गों को साथ लेकर चल सके. हमने अटल की कार्य शैली की बात की. इसे भी लोगों ने मान लिया कि हमने किसी के खिलाफ बोला.'
उन्होंने कहा, 'जब साथ छूटा तो लोग बिहार की जनता का नारा तो नहीं लगा रहे थे... नारा सुशील मोदी का तो लगा नहीं रहे थे... नारा किसी और का लगा रहे थे. मैंने तो पहले ही कहा था कि बाहरी लोगों का हस्तक्षेप काफी बढ़ गया है और यही कारण है कि हम साथ नहीं चल सकते.'
नीतीश कुमार ने 2003 में रेलमंत्री के तौर पर अपने गुजरात दौरे का भी जिक्र किया और कहा, 'हम रेलमंत्री के तौर पर गए थे गुजरात. मैंने तो उस समय भी कहा था कि गुजरात पर एक काला धब्बा लगा है. बीजेपी के लोगों को वह भाषण फिर से सुन लेना चाहिए जिसका कुछ अंश अब लोगों को सुना रहे हैं.'
मोदी का नाम लिए बिना नीतीश ने कहा, '2005 में नया बिहार का नारा दिया गया था. वह नारा मेरे नाम को जोड़ कर दिया गया था. उस समय बीजेपी ने (मोदी को) क्यों नहीं बुलाया. 2009 में क्यों नहीं बुलाया गया.'
नीतीश कुमार ने कोसी आपदा के समय का जिक्र किया. उस दौरान नरेंद्र मोदी ने बिहार को सहायता भेजी थी, जिसे नीतीश ने वापस कर दिया था. इसका जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, 'मैं तो 2010 में इस्तीफा देने के लिए बैठा हुआ था. आपदाग्रस्त राज्य को दूसरे राज्य मदद करते ही हैं, लेकिन जिस तरीके से उन्होंने (मोदी ने) इसका जिक्र किया वह उचित नहीं था.'
नीतीश के मुताबिक, 'कांग्रेस ने सेकुलर के नाम पर समर्थन देने की बात की है. सीपीआई ने सेकुलर के नाम पर समर्थन देने की बात की है. प्रधानमंत्री ने सेकुलर के नाम पर तारीफ की है. मैंने उनको धन्यवाद दिया.'
उन्होंने कहा कि बीजेपी को उनके साथ चलने से फायदा हुआ. उनके मुताबिक, 'जो बुजुर्गों का सम्मान नहीं कर पाए वह हमें विश्वासघाती कैसे कह सकता है. अटल जी ने राजधर्म पालन करने की बात कही थी. मैंने उसकी प्रशंसा की थी.'
के पक्ष में 126 वोट और विपक्ष में 24 वोट पड़े. बीजेपी के 91 सदस्यों और लोकजनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के एक विधायक ने सदन से वॉकआउट किया.
नीतीश कुमार को अपनी पार्टी जेडीयू के 117 विधायकों, 4 निर्दलीयों, 4 कांग्रेसी विधायकों और एक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विधायक का समर्थन मिला. जेडीयू का एक विधायक जेल में है. नीतीश के विश्वास प्रस्ताव के विरोध में मतदान करने वालों में आरजेडी के 22 विधायक और दो निर्दलीय विधायक शामिल हैं. वहीं, वोटिंग से पहले अपने संबोधन में नीतीश ने बीजेपी और नरेंद्र मोदी पर जमकर कटाक्ष किया.
विश्वास मत हासिल करने के दौरान नीतीश कुमार ने बीजेपी पर शब्दों के तीर चलाते हुए कहा, 'विश्वासघात दिवस' मनाने के दौरान जिस तरीके का व्यवहार हुआ और जैसी घटनाएं हुईं उससे तो यही लगा चलो अच्छा हुआ, हम अलग हो गए.'
नीतीश कुमार ने बीजेपी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि बिहार की उपलब्धियों पर इनको नाज नहीं था. बिहार के विकास का जो मॉडल है वह समाज को साथ लेकर चलने की प्रवृत्ति है. उन्होंने कहा, 'अपने विकास मॉडल में हमने कानून का राज कायम किया. इसमें हमने समाज के वंचित तबके को आगे बढ़ाने का काम किया. हमारा कार्यक्रम समावेशी है. इससे किसी की आलोचना कैसे हो सकती है? इसमें किसी को परेशानी क्यों होने लगी?'
नरेंद्र मोदी का नाम लिए बिना नीतीश ने अपने भाषण के दौरान कई बार उन पर हमला किया. उनके मुताबिक, 'हमने तो कहा कि देश का नेतृत्व ऐसे लोगों के हाथ में हो जो देश के सभी वर्गों को साथ लेकर चल सके. हमने अटल की कार्य शैली की बात की. इसे भी लोगों ने मान लिया कि हमने किसी के खिलाफ बोला.'
उन्होंने कहा, 'जब साथ छूटा तो लोग बिहार की जनता का नारा तो नहीं लगा रहे थे... नारा सुशील मोदी का तो लगा नहीं रहे थे... नारा किसी और का लगा रहे थे. मैंने तो पहले ही कहा था कि बाहरी लोगों का हस्तक्षेप काफी बढ़ गया है और यही कारण है कि हम साथ नहीं चल सकते.'
नीतीश कुमार ने 2003 में रेलमंत्री के तौर पर अपने गुजरात दौरे का भी जिक्र किया और कहा, 'हम रेलमंत्री के तौर पर गए थे गुजरात. मैंने तो उस समय भी कहा था कि गुजरात पर एक काला धब्बा लगा है. बीजेपी के लोगों को वह भाषण फिर से सुन लेना चाहिए जिसका कुछ अंश अब लोगों को सुना रहे हैं.'
मोदी का नाम लिए बिना नीतीश ने कहा, '2005 में नया बिहार का नारा दिया गया था. वह नारा मेरे नाम को जोड़ कर दिया गया था. उस समय बीजेपी ने (मोदी को) क्यों नहीं बुलाया. 2009 में क्यों नहीं बुलाया गया.'
नीतीश कुमार ने कोसी आपदा के समय का जिक्र किया. उस दौरान नरेंद्र मोदी ने बिहार को सहायता भेजी थी, जिसे नीतीश ने वापस कर दिया था. इसका जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, 'मैं तो 2010 में इस्तीफा देने के लिए बैठा हुआ था. आपदाग्रस्त राज्य को दूसरे राज्य मदद करते ही हैं, लेकिन जिस तरीके से उन्होंने (मोदी ने) इसका जिक्र किया वह उचित नहीं था.'
नीतीश के मुताबिक, 'कांग्रेस ने सेकुलर के नाम पर समर्थन देने की बात की है. सीपीआई ने सेकुलर के नाम पर समर्थन देने की बात की है. प्रधानमंत्री ने सेकुलर के नाम पर तारीफ की है. मैंने उनको धन्यवाद दिया.'
उन्होंने कहा कि बीजेपी को उनके साथ चलने से फायदा हुआ. उनके मुताबिक, 'जो बुजुर्गों का सम्मान नहीं कर पाए वह हमें विश्वासघाती कैसे कह सकता है. अटल जी ने राजधर्म पालन करने की बात कही थी. मैंने उसकी प्रशंसा की थी.'