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आत्म शक्ति ही महान शक्ति है - स्वामी आगमनन्द जी महाराज

 आत्म शक्ति ही महान शक्ति है | जो सिर्फ अध्यात्म से ही प्राप्त की जा सकती है | जिसे मारकंडेय और परीक्षित जैसे महान लोगों ने भी प्राप्त किया था | अध्यात्म ही ऐसी चीज है जिसके बार बार प्रेरित करने पर भी अगर व्यक्ति अमल कर ले तो उसका जीवन धन्य हो जाता है |
इसके साथ ही वह व्यक्ति अमरत्व को प्राप्त कर सकता है |
उपरोक्त आध्यात्मिक बातें नवगछिया स्थित इंटर स्तरीय उच्च विद्यालय में चल रहे श्री मदभागवत कथा के दूसरे दिन स्वामी आगमनन्द जी महाराज ने अपने प्रवचन उद्बोधन में बतायी | जिसके उदाहरण में उन्होने बताया कि झर झर कर निर्झर बहता है मस्ती ही इसका पानी है, सुख दुख के दोनों तीरों से चल रहा राह मनमानी है | साथ ही "तेरे पूजन को भगवान मन मंदिर बना आलीशान" पर श्रद्धालुओं को खूब झूमाया | इसके साथ ही राजा परीक्षित के गर्भकाल में ही भगवान द्वारा की गयी ब्रह्मास्त्र से रक्षा का विस्तार से वर्णन किया |
इस मौके पर एक दर्जन से भी अधिक प्रमुख लोगों को स्वामी आगमनन्द जी महाराज द्वारा सम्मानित भी किया गया | जहां मौके पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे |
इस मौके पर वोडाफोन मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी के ज़ोनल हेड राजीव रंजन झा, प्रो0 विरेन्द्र कुमार झा, आचार्य शिव शंकर ठाकुर, शिव शक्ति योग पीठ के अध्यक्ष अनिमेष कुमार सिंह, कथा समिति के अध्यक्ष डा0 प्रो0 महाबीर साह, सचिव अशोक शर्मा, सिया शरण पोद्दार, मीडिया प्रभारी सह नवगछिया समाचार के संपादक राजेश कानोडिया, आचार्य पंकज शास्त्री, प्रेम शंकर झा, प्राचार्य सुरेन्द्र प्रसाद सिंह, फूल कुमार सिंह, राम केशवर प्रसाद सिंह, यमुनिया के जय नारायण सिंह, पचगछिया के श्याम देव जी, प्रख्यात नेत्र चिकित्सक डा0 बीएल चौधरी, सांसद प्रतिनिधि प्रवीण कुमार भगत सम्मानित होने वालों में प्रमुख रूप से शामिल थे |