जिस देश में बेटी को पैदा ही नहीं होने दिया
जाता हो, वहां महिलाएं अपनी सुरक्षा की उम्मीद किसी और से कैसे कर सकती
हैं। यूपी के इटावा में एक बहू ने इस बात को समझा और बेटियों को बचाने का
बीड़ा उठा लिया। उसकी कोशिशों के चलते आज इलाके में लड़कों के मुकाबले
लड़कियों का अनुपात बढ़ गया है।
इटावा
से जब ब्याह कर अंजू देवी इटगांव आई थीं तो कन्या भ्रूण हत्या चरम पर थी।
ग्रेजुएशन तक पढ़ाई कर चुकी अंजू को इस बात ने बेचैन कर दिया। बस फिर क्या
था, अंजू ने पति का साथ मिलते ही घर की दहलीज लांघी और शुरू कर दिया अपना
अभियान। कन्या भ्रूण हत्या को रोकने का अभियान। आज इस अभियान ने पूरे जिले
में कीर्तिमान बना दिया है। आज इलाके में लड़कियों का अनुपात लड़कों के
मुकाबले ज्यादा हो चुका है। अंजू के मुताबिक उनके लिए ये किसी बड़े सपने के
पूरा होने से कम नहीं है।
खुद अंजू की 5 बेटियां है और उन्हें अपनी इन
बेटियों पर नाज है। बेटियां भी मां के नक्शे कदम पर चल रही हैं। अंजू की
बेटी माही मां की उम्मीदों को और आगे बढ़ाना चाहती है। देश में अंजू जैसी
बहुओं की अब काफी जरूरत है। अगर ये समाज में अलग जगाएंगी तो बाकी लोगों को
भी सीख मिलेगी। सीख इस बात की कि बेटियां अभिशाप नहीं, बल्कि घर-आंगन की
रौनक होती हैं।