सीबीआई ने सोमवार को विशेष न्यायाधीश सीताराम प्रसाद की अदालत को बताया कि
चारा कांड संख्या 33 ए 96 में बिहार के सीएम नीतीश कुमार और शिवानंद तिवारी
की संलिप्तता नहीं थी। मालूम हो कि दोनों को आरोपी बनाने के लिए मिथिलेश
सिंह नामक एक युवक ने सीबीआई की अदालत में सीआरपीसी की धारा 319 और 173(8)
के तहत आवेदन दायर किया। उक्त आवेदन पर सीबीआई की ओर से
सोमवार को लिखित जवाब दायर किया गया। अपने जवाब में सीबीआई ने स्पष्ट कहा है कि मामले की अबतक की सुनवाई के बाद ऐसा कोई साक्ष्य नहीं आया है। इसके आधार पर दोनों को धारा 319 के तहत सम्मन किया जाए।
जवाब में यह भी बताया गया है कि चूंकि मामले में सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप गठन, सीबीआई के गवाहों का बयान दर्ज तथा संलिप्त आरोपियों का बयान भी दर्ज हो चुका है। ऐसी परिस्थिति में मामले की सुनवाई के अंतिम पड़ाव पर धारा 173(8) के तहत इस कांड को पुर्न अनुसंधान के लिए नहीं कहा जा सकता। अदालत दोनों पक्षों की सुनवाई करने के बाद आदेश के लिए 12 दिसंबर की तिथि निर्धारित की है। यह मामला गोड्डा कोषागार से संबंधित है।
सोमवार को लिखित जवाब दायर किया गया। अपने जवाब में सीबीआई ने स्पष्ट कहा है कि मामले की अबतक की सुनवाई के बाद ऐसा कोई साक्ष्य नहीं आया है। इसके आधार पर दोनों को धारा 319 के तहत सम्मन किया जाए।
जवाब में यह भी बताया गया है कि चूंकि मामले में सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप गठन, सीबीआई के गवाहों का बयान दर्ज तथा संलिप्त आरोपियों का बयान भी दर्ज हो चुका है। ऐसी परिस्थिति में मामले की सुनवाई के अंतिम पड़ाव पर धारा 173(8) के तहत इस कांड को पुर्न अनुसंधान के लिए नहीं कहा जा सकता। अदालत दोनों पक्षों की सुनवाई करने के बाद आदेश के लिए 12 दिसंबर की तिथि निर्धारित की है। यह मामला गोड्डा कोषागार से संबंधित है।