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एक सेलफोन, 30 दिन और 49 सिमकार्ड का प्रयोग

मुजफ्फरपुर के शहीद खुदीराम बोस केन्द्रीय कारा में बंद पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला पर लगे रंगदारी मांगने के आरोप के बाद जेल की व्यवस्था कठघरे में है। वैशाली जिले के भगवानपुर थाना में शनिवार को पूर्व विधायक पर रंगदारी मांगने का मामला दर्ज होने के बाद कारा में हुई छापेमारी में मिले सेल फोन ने व्यवस्था के कायम छेद सच्चाई को सामने ला दिया है। जब्त सेल फोन के आइएमईआइ की जांच के दौरान चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। सबसे आश्चर्यजनक यह कि जो मोबाइल मिला है, उसमें एक महीने में 49 सिमकार्ड का प्रयोग
किया गया है। महीने भर में इतनी बड़ी संख्या में लगातार मोबाइल नंबर बदलने की बात सामने आने के बाद प्रशासन के काम खड़े हो गए हैं। सवाल यह उठ खड़ा हुआ है कि कड़ी सुरक्षा के बीच सेल फोन कैसे पहुंचा? यदि पहुंचा भी तो लगातार बदलने के लिए नंबर कहां से आए? किसने दिया? इन तमाम तथ्यों की पड़ताल की जा रही है। पुलिस जांच के दायरे में जेल प्रशासन से जुड़े कई लोग आ गए हैं। पूरे मामले में जेल के सिपाही से लेकर वरीय अधिकारी तक संदेह के घेरे में हैं। उनकी संलिप्तता की संभावना पर भी जांच चल रही है।
इससे पहले भी जेल से मांगी गई
रंगदारी
पुलिस रिकार्ड पर गौर करें तो पूर्व में भी शहर के व्यवसायियों से जेल में शातिर बंद शातिर मौजेलाल सहनी और उसके गुर्गे द्वारा रंगदारी मांगे जाने की घटना घट चुकी है। बावजूद इसके जेल प्रशासन की सक्रियता नहीं बढ़ी। पिछले दिनों जेल में भ्रष्टाचार के आरोप में तत्कालीन जेल अधीक्षक विश्वनाथ प्रसाद को जेल आइजी ने निलंबित कर दिया था। उनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई चल रही है।
जिनके नाम से सिमकार्ड, उनसे भी पूछताछ
मुन्ना शुक्ला द्वारा रंगदारी मांगे जाने की घटना को एडीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने जहां प्रथम दृष्ट्या सत्य बताया है। वहीं, मुन्ना शुक्ला की सेल से बरामद मोबाइल के सहारे पुलिस तहतक जाने में लगी है। विशेष पुलिस टीम यह पता लगा रही है कि एक माह के अंदर बदले गए 49 सिम कार्ड का इस्तेमाल किनके नाम से जारी था। बरामद मोबाइल किसने खरीदा? उसमें प्रयुक्त पहला सिमकार्ड किसके नाम से जारी किया गया था। 49 सिमकार्ड को लेनेवालों को भी टारगेट में लेकर पूछताछ होगी। जांच में मिले साक्ष्य के आधार पर उन्हें जेल भेजा जाएगा।
अधिकारी ने कहा 
- जांच में यह पता चला है कि एक माह में बरामद मोबाइल में 49 सिमकार्ड बदले गए हैं। एसएसपी के नेतृत्व में पूरे मामले की पड़ताल चल रही है। अलग-अलग नंबर किन-किन लोगों के नाम से जारी था। सभी बातों का शीघ्र ही खुलासा हो जाएगा।
सुशील खोपडे, डीआइजी
तिरहुत रेंज, मुजफ्फरपुर