सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई हमले के गुनाहगार आमिर अजमल कसाब
की फांसी की सजा बरकरार रखी है। मुंबई के 26/11 हमले के मामले में मुंबई की निचली ने कसाब को फांसी की सजा दी थी, जिसे बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखी थी।
बुधवार को कसाब की सजा को बरकार रखते हुए जस्टिस आफताब आलम और जस्टिस सीके प्रसाद की पीठ ने कहा, "हम इस रुख को बरकरार रखने के लिए मजबूर हैं कि फांसी ही एक मात्र ऐसी सजा है, जिसे इस मामले की स्थितियों में दी जा सकती है।"
मुम्बई की एक विशेष अदालत ने वर्ष 2010 में कसाब के खिलाफ फांसी की सजा सुनाई थी। कसाब ने इस फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसने फरवरी 2011 में अमान्य कर दिया था।

बुधवार को कसाब की सजा को बरकार रखते हुए जस्टिस आफताब आलम और जस्टिस सीके प्रसाद की पीठ ने कहा, "हम इस रुख को बरकरार रखने के लिए मजबूर हैं कि फांसी ही एक मात्र ऐसी सजा है, जिसे इस मामले की स्थितियों में दी जा सकती है।"
मुम्बई की एक विशेष अदालत ने वर्ष 2010 में कसाब के खिलाफ फांसी की सजा सुनाई थी। कसाब ने इस फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसने फरवरी 2011 में अमान्य कर दिया था।
आपको याद होगा 26 नवंबर 2008 की शाम कसाब अपने नौ पाकिस्तानी साथियों के साथ समंदर के रास्ते कराची से मुंबई पहुंचा था और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, लियोपोल्ड कैफे, ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, नरिमन हाउस समेत कई जगहों पर अंधाधुंध फायरिंग कर 166 लोगों जान ले ली थी। इसके बाद 60 घंटे तक चली मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने नौ आतंकियों को मार गिराया था और कसाब जिंदा पकड़ा गया था।