जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव अफजल अमानुल्लाह ने 29 अगस्त को भागलपुर में विक्रमशिला पुल के अपस्ट्रीम एवं डाउनस्ट्रीम में गंगा नदी से हो रहे कटाव का स्थल
निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने स्थल पर दिनरात काम करने के लिए तीन पाली में कार्यपालक अभियंता के नेतृत्व में टीम गठित करने का निर्देश दिया। निरीक्षण के दौरान उनके साथ भागलपुर के प्रमंडलीय आयुक्त, डीएम, एसडीओ नवगछिया, मुख्य अभियंता के साथ-साथ मुख्यालय के वरीय अभियंताओं की टीम भी थी।
जल संसाधन विभाग के अनुसार उन्होंने राघोपुर स्थल पर विशुनपुर से बुढ़वा मंदिर तक ड्रेजिंग कार्य तत्काल आरंभ करने की जरूरत बताई। यहां नदी का जल स्तर बढ़ने पर कम से कम क्षेत्र बाढ़ से प्रभावित हो इसके लिए निर्माणाधीन रिंग बांध को मजबूत करने का भी निर्देश दिया। बाढ़ संघर्षात्मक बल के अध्यक्षों से अनुरोध किया गया कि अभी से स्थल पर कटाव निरोधक काम के रूपांकन पारामीटर के बारे में अध्ययन शुरु कराएं एवं अगले साल की बाढ़ के पूर्व ठोस प्रस्ताव दें, ताकि समस्या का स्थायी निदान हो सके।
निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने स्थल पर दिनरात काम करने के लिए तीन पाली में कार्यपालक अभियंता के नेतृत्व में टीम गठित करने का निर्देश दिया। निरीक्षण के दौरान उनके साथ भागलपुर के प्रमंडलीय आयुक्त, डीएम, एसडीओ नवगछिया, मुख्य अभियंता के साथ-साथ मुख्यालय के वरीय अभियंताओं की टीम भी थी।
जल संसाधन विभाग के अनुसार उन्होंने राघोपुर स्थल पर विशुनपुर से बुढ़वा मंदिर तक ड्रेजिंग कार्य तत्काल आरंभ करने की जरूरत बताई। यहां नदी का जल स्तर बढ़ने पर कम से कम क्षेत्र बाढ़ से प्रभावित हो इसके लिए निर्माणाधीन रिंग बांध को मजबूत करने का भी निर्देश दिया। बाढ़ संघर्षात्मक बल के अध्यक्षों से अनुरोध किया गया कि अभी से स्थल पर कटाव निरोधक काम के रूपांकन पारामीटर के बारे में अध्ययन शुरु कराएं एवं अगले साल की बाढ़ के पूर्व ठोस प्रस्ताव दें, ताकि समस्या का स्थायी निदान हो सके।
मुखिया या स्थानीय लोगों को भेजा जायेगा जेल
प्रधान सचिव ने बताया कि अगर जानमाल की क्षति से बचाव करने के लिए प्रशासन का स्थानीय लोग या मुखिया सहयोग नहीं करते, तो उन्हें जेल भेज दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि आपदा की धारा 304 के अंतर्गत जानमाल की हानि पर कार्रवाई की जायेगी। अगर मुखिया या स्थानीय लोगों के पास ट्रैक्टर है और वे नहीं दे रहे तो उनका जेल जाना तय है। इस मामले में चार साल की सजा हो सकी है। इतना ही नहीं कोताही बरतने वाले अधिकारी को धारा 51 व 56 के तहत दो वर्ष की कैद हो सकती है।