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दियारा में हुआ सत्संग

सत्संग से ही मानव का कल्याण संभव है। सत्संग को जीवन में उतारना चाहिए। तभी इसका सही लाभ मिल पाएगा। सांसारिक बंधन से मुक्ति के लिए आंतरिक साधना की आवश्यकता होती है। इसके लिए सद्गुरु की बड़ी जरूरत होती है। इसके बिना आंतरिक साधना काफी मुश्किल है। उक्त बातें स्वामी चतुरानंद बाबा ने गंगा पार दियारा क्षेत्र में आयोजित अखिल भारतीय संतमत सत्संग के 29वें अनुमंडलीय अधिवेशन में कही। यह अधिवेशन इस्माईलपुर के मनघत टोला में शाही स्वामी के शिष्यों द्वारा आयोजित था। गुरुवार तक चलने वाले इस दो दिवसीय अधिवेशन में दियारा की हजारों महिलाएं एवं पुरुषों ने भाग लिया।

बुधवार को प्रात: सात बजे से प्रारंभ इस अधिवेशन के पहले दिन का पहला सत्र दस बजे तक चला तथा दूसरा सत्र ढाई बजे से पांच बजे तक चला। इस दौरान स्तुति, प्रार्थना, गुरु विनती व प्रवचन का आयोजन हुआ। जिसमें ग्रंथ पाठ गुरु शरण बाबा द्वारा किया गया। जहां स्वामी चतुरानंद बाबा के अलावा योगानंद बाबा, श्याम सुंदर ब्रह्मचारी, अजीत बाबा, गुणानंद बाबा, प्रणवानंद बाबा तथा सुभाष बाबा की मौजूदगी देखी गई। इस अधिवेशन में अनुमंडलीय अध्यक्ष सेवानिवृत रेल कर्मी सद गुणानंद जी, उपाध्यक्ष मुरली मनोहर शर्मा, सचिव श्रवण बिहारी, कोषाध्यक्ष छेछन मंडल के साथ-साथ कार्यक्रम के स्वागताध्यक्ष दुर्गा यादव की भी मौजूदगी देखी गई। बताते चलें कि यह दियारा क्षेत्र कलाई और क्राइम के लिए मशहूर रहा है। इस क्षेत्र में सत्संग के अधिवेशन का आयोजन अपने आप में अनूठा मनाया जा रहा है।