नवगछिया : अंग क्षेत्र की महासती बिहुला की जन्म स्थली जो नवगछिया शहर के समीप अवस्थित है, उजानी, आज भी पूरी तरह से उपेक्षित है। यह वही महासती बिहुला का गांव है जिसकी शादी भागलपुर के चंपानगर के चांदो सौदागर उर्फ चंद्रधर साह के सातवें पुत्र बाला लखंदर से हुई थी। सुहाग रात के ही दिन पति की मृत्यु सर्पदंश से हो जाने के बाद अपने तेज ओर प्रताप से अपने पति को ठीक उसी प्रकार यमलोक से वापस लायी जिस प्रकार सावित्री ने सत्यवान को यमलोक से वापस लायी थी। इस उजानी गांव में आज भी वह अमृत पोखर विद्यमान है जिसमें सती बिहुला ने अपने मृत पति को जिंदा किया था।
लेकिन इस पोखर की हालात बदल चुका है। यह पोखर पूरी तरह से सूख चुका है और इस पर खेती की जा रही है। यह गांव काफी समय से नवगछिया नगर पंचायत का हिस्सा है। नगर पंचायत के बगल से उजानी गांव जाने वाली सड़क का हाल वर्षो से खास्ता है। कुछ दूर पक्की तो कुछ दूर ईट सोलिंग है। गांव के लोग इस अव्यवस्था के लिए वर्तमान सरकार को दोषी मान रहे हैं। महासती बिहुला की जन्म स्थली के उपेक्षित रहने के मामले में स्वामी आगमानन्द जी महाराज ने इसके विकास के लिए सकारात्मक पहल करने की बात कही है। स्वामी जी ने कहा कि यह एक चिंतनीय विषय है कि जिसकी पूजा स्वर्गलोक एवं पाताल लोक के बाद पृथ्वी लोक पर सदियों से हर जगह होती आयी है। पिछले कई वषरें से वह अपनी ही जन्म स्थली में उपेक्षित हो कर रह गयी है। जबकि इसकी लोक गाथा के बारे में इस उजानी गांव के बच्चों से लेकर बूढे़ तक सभी जानते है।