नौकरी की जगह उद्यमिता को चुनें छात्र, ताकि दूसरों को रोजगार दे सकें - कुलाधिपति
नव-बिहार समाचार, भागलपुर। बिहार के कुलाधिपति सह राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर ने कहा कि समाज और राष्ट्र के प्रति समर्पित रहने की शपथ ही दीक्षा है। भागलपुर विवि का नाम शहीद तिलकामांझी के नाम पर है जो समाज के प्रति समर्पित रहने की प्रेरणा देते हैं। इसलिए छात्रों को उनका अनुकरण करना चाहिए। डिग्री लेने के बाद छात्रों की नई दुनिया शुरू हो जाती है। छात्रों को हमेशा याद रखना चाहिए कि समाज को भी कुछ देना है। इसके लिए छात्रों को सिर्फ नौकरी लेने की जगह उद्यमिता को चुनना चाहिए ताकि वह खुद भी कमा सकें और दूसरों को भी रोजगार दे सकें। ये बातें कुलाधिपति सह राज्यपाल ने बुधवार को भागलपुर स्थित टीएमबीयू के दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि कई ऐसे छात्र होते हैं जो कहीं नौकरी या व्यवसाय करते हुए पढ़ाई करते हैं और डिग्री प्राप्त करते हैं। ऐसे छात्र दरअसल डिग्री प्राप्त करने से पहले ही अपना रास्ता बना चुके होते हैं। इनके लिए इनकी डिग्री विभागीय प्रमोशन का रास्ता खोल सकता है। लेकिन जो पढ़ते हुए सिर्फ डिग्री प्राप्त करते हैं उनकी डिग्री का उपयोग केवल नौकरी पाने के लक्ष्य तक सिमटना नहीं चाहिए। ज्यादातर छात्र डिग्री प्राप्त करने के बाद सरकारी नौकरी की तलाश में लग जाते हैं। याद रखें कि नौकरी गारंटीड पॉवर्टी (गरीबी) है, जबकि उद्यमिता रिस्की प्रॉसपेरिटी (समृद्धि) है। उद्यमिता व्यवसाय का रास्ता देती है जिसमें किसी नौकरी में मिलने वाले वेतन से ज्यादा आय हो सकती है।
उन्होंने कहा कि वह सभी विवि जाने का प्रयास करेंगे ताकि छात्रों से मिल सकें। छात्र ही नई ऊर्जा के भंडार हैं और रिस्क भी ये ही ले सकते हैं। उन्होंने छात्रों से कहा कि पीएमओ की वेबसाइट पर उद्यमिता या स्टार्टअप से जुड़ी कई योजनाएं हैं। इन योजनाओं का लाभ कम से कम पूंजी में भी उठाया जा सकता है। रास्ते कई हैं, पर सही का चयन छात्रों को ही करना है। कुलाधिपति ने समारोह में 1929 छात्रों को गोल्ड मेडल, स्मृति पदक और डिग्रियां भी प्रदान की।