इस गोलीबारी मामले की प्राथमिकी पुलिस स्तर से नवगछिया थाने में शनिवार को देर शाम हवलदार मोती चंद्र महतो के लिखित बयान पर दर्ज कर ली गयी है. इससे पहले शनिवार को ही नवगछिया पुलिस ने नवगछिया नगर पंचायत में लगाये गए सीसीटीभी फुटेज की सघन जांच की है. जिसमें पता चला है दुर्गा मंदिर चौक के पास अतिव्यस्ततम जगह पर दो पक्ष के लड़के जूटे थे. दोनों के बीच विवाद हुआ और एक पक्ष से मौके पर ही फायरिंग कर दी गयी. इसके बाद अपराधी हथियार की नुमाइश करते हुए भाग निकले. नवगछिया के थानाध्यक्ष भरत भूषण के हवाले से जानकारी दी गयी है कि मामले में अज्ञात के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज की गयी है. पुलिस छानबीन कर रही है. घटना में शामिल एक भी अपराधी को छोड़ा नहीं जाएगा.
वहीं आमलोगों को चिंता इस बात की हो रही है कि इस वारदात को अंजाम देने वालों को नवगछिया पुलिस गिरफ्तार कर पायेगी, यह बात विश्वास करने से अलग लगती है. कारण कि विभिन्न मामलों और कार्यों में व्यस्त रहने वाली नवगछिया पुलिस पर आशंका इस बात की भी है कि नवगछिया पुलिस यह भी पता लगा पायेगी कि इस वारदात को अंजाम देने के पीछे उनलोगों का मकसद क्या था? और उन लोगों द्वारा बाजार के अतिव्यस्त जगह दुर्गा स्थान चौक को ही क्यों चुना गया? इसके पीछे क्या कारण है? क्या किसी बड़ी घटना को अंजाम देने या शहर के किसी बड़े व्यापारी पर हमले की योजना का ट्रायल है? या फिर अपराधियों की नई फौज को प्रशिक्षण देने का मामला है?
बहरहाल नवगछिया पुलिस ने एक हवलदार के बयान पर मामला दर्ज करके वरीय अधिकारियों के मुंह पर ताला तो लगा दिया है, लेकिन यह मामला नवगछिया शहर और बाजार के साथ साथ इलाके के दहशतजदा लोगों के दिल से खौफ नहीं निकाल पायेगा. कारण कि कोई भी बाजार उस इलाके का एक बड़ा दर्पण होता है. जहां हर जाति, धर्म व सम्प्रदाय के महिला और पुरूष तथा बच्चे, रिक्सा व ठेला चलाने वाले मजदूर से लेकर सेठ साहूकार इत्यादि सभी वर्ग के लोग बेखौफ अपने कार्यों में व्यस्त रहते हैं.
नवगछिया बाजार के लोग आज भी पुरानी सब्जी पट्टी की सोना चांदी दुकान में लगभग पैंतीस साल पहले फिल्मी स्टाइल में हुई डकैती की उस घटना को नहीं भूल पाये हैं जिसमें कितने लोग उसके शिकार हुए थे. उसके बाद ही नवगछिया बाजार में एक नाका की स्थापना हुई थी. उसके बाद भी नवगछिया बाजार में कई बड़े व्यापारियों के साथ हत्या जैसी बड़ी घटनाएं हुई. जिसके बाद दूसरे नाके की भी स्थापना कर दी गई. इसके बाद गौशाला रोड़ में कई वारदातों को अंजाम मिला, तो फिर एक तीसरे नाके की भी स्थापना कर दी गई.
आज के समय नवगछिया बाजार में पुलिस के तीन तीन नाके सिर्फ कहने को हैं. जिनमें क्या साधन और संसाधन हैं, ये किसी भी व्यापारी और अपराधी से छिपा हुआ नहीं है. जहां खोजने से कोई अधिकारी या हवलदार अथवा पुलिस कर्मी मिल पायेगा, यह भी संदेहास्पद है. जबकि पूर्व में नाका में ही प्राथमिकी दर्ज कराने तक की सुविधा प्रदान करने का लोगों को आश्वासन मिला था. आज सारी सुविधा हवा हवाई साबित हो रही है.
कहने को तो नवगछिया थाना को मुख्यालय थाना होने के नाते आदर्श थाना का दर्जा भी मिल गया और आदर्श थाना लिखा भी जाने लग गया, लेकिन यहां पुलिस का आदर्श कितना सही साबित हो रहा है, यह तो क्षेत्र की एक एक पब्लिक ही जान रही है. पुलिस पब्लिक की मीटिंग कब बुलाई जाती है? यह तो छोड़िए सरकार द्वारा निर्देशित हर शनिवार को लगाए जाने वाले जनता दरबार की क्या स्थिति है? यह भी किसी से छिपा नहीं है. आज अधिकांश व्यापारियों के पास थाना के पुलिस अधिकारियों के मोबाइल नंबर तक नहीं हैं.
छोड़िये इन बातों को, चलिये ताजा हालात पर. आज तो मोबाइल का जमाना आ गया है, हर कुछ मोबाइल के माध्यम से नियंत्रित किया भी जा रहा है. जहां 6 अगस्त को सरे आम शाम के समय बाजार के मुख्य चौराहे पर गोलीबारी की घटना को अंजाम दिया गया और लोगों ने उसे अपनी नंगी आँखों से देखा भी. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार मौके पर आसपास में तीन पुलिस कर्मी भी मौजूद थे, लेकिन बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे? वाली बात हुई. फिर भी वारदात की गंभीरता को देखते हुए मामले की प्राथमिकी दर्ज कर वरीय अधिकारियों के मुंह पर ताला लगा दिया गया. लेकिन आम लोग चर्चा यह भी कर रहे हैं कि बाजार की सुरक्षा के लिए लगाये गए मोबाइल और मोटरसाइकिल युक्त टाइगर या चीता पुलिस कहां थी? उसने क्या किया?
यह तो नवगछिया इलाके के हर लोग जानते हैं कि यहां बढ़ते अपराध के कारण कितने व्यापारियों ने नवगछिया बाजार को छोड़ दिया और कितनों ने अपना नाता नवगछिया से तोड़ लिया. नवगछिया के व्यापारियों में चिंता इस बात की फैल रही है कि अगर अपराध का वही पुराना सिलसिला जारी हुआ तो बचे हुए भले व्यापारी भी नवगछिया से नाता तोड़ने को मजबूर हो सकते हैं.