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चारा  घोटाला : SC के फैसले के बाद बिहार में सियासी पारा गर्म, लालू के आवास पर पसरा सन्नाटा

नव-बिहार न्यूज नेटवर्क (NNN), नयी दिल्ली/पटना : सुप्रीम कोर्ट ने चारा घोटाला मामले में झारखंड हाई कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को चारा घोटले से जुड़े सभी चारों मामलों में सुनवाई का सामना करने के आज आदेश दिए. चारा घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बिहार में सियासी पारा चढ़ने लगा है. एक ओर जहां विपक्ष लालू पर हमलावर हैं वहीं अन्य पार्टियों ने भी बयानबाजी की है. उधर, राजद प्रमुख लालू प्रसाद का आवास 10 सर्कुलर रोड पर सुबह से ही सन्नाटा पसरा हुआ था. 

नौ माह के भीतर कार्रवाई पूरी करने का निर्देश
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति अमिताव रॉय की पीठ ने निचली अदालत को 68 वर्षीय यादव तथा अन्य के खिलाफ कार्रवाई नौ माह के भीतर पूरी करने के निर्देश दिए. पीठ ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि प्रत्येक अपराध के लिए पृथक सुनवाई होनी चाहिए.' चारा घोटाला तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के कार्यकाल में पशुपालन विभाग द्वारा विभिन्न जिलों से फर्जी तरीके से 900 करोड़ रुपये की निकासी से जुड़ा है.

बिहार के पूर्व मुख्समंत्री जगन्नाथ मिश्रा एंव राज्य के पूर्व सचिव संजाल चक्रवर्ती भी इस मामले में आरोपी हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 2014 के हाई कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए, जिसमें यादव को एक मामले में दोषी ठहराते हुए शेष मामलों में उनके खिलाफ सुनवाई पर रोक लगा दी थी, कहा कि हाई कोर्ट को अपने निष्कर्षों में दृढ रहना चाहिए और एक ही मामले में आरोपियों के अगल-अलग गुटों के लिए अलग-अलग आदेश नहीं सुनाना चाहिए.

सीबीआइ की खिंचाई
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील में देरी के लिए सीबीआइ की खिंचाई करते हुए कहा कि जांच एजेंसी के निदेशक को इस अहम मामले को देखना चाहिए था और मामले की तह तक जाने के लिए किसी अधिकरी को लगाना चाहिए था. सीबीआइ ने झारखंड हाई कोर्ट के 2014 के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें कोर्ट ने लालू के खिलाफ लंबित चार चारा घोटाला मामलों को इस आधार रद्द कर दिया था कि एक मामले में दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति के खिलाफ ऐसे मिलते जुलते मामलों में उन्हीं गवाहों और साक्ष्यों के आधार पर सुनवाई नहीं की जा सकती.

हाई कोर्ट ने निचली अदालत में अन्य आरोप को छोड़ कर दो धाराओं के तहत यादव के खिलाफ कार्रवाई जारी रखने की मांग वाली सीबीआइ की याचिका को 14 नवंबर 2014 को बरकरार रखा था.

बिहार में फैसले पर राजनीति तेज
चारा घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसले से एक ओर जहां लालू यादव की मुश्किलें बढ़ गयी हैं वहीं बिहार में इसको लेकर राजनीति तेज हो गयी है. विभिन्न राजनीतिक दल जहां सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है वहीं विपक्षी पार्टी भाजपा ने लालू यादव को उनपर लगाए गए सभी आरोपों पर करारा हमला किया है. 

महागठबंधन अब ज्यादा दिन चलने वाला नहीं : सुशील मोदी
भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि अब साबित हो गया है कि लालू अपराध की राजनीति करने के माहिर खिलाड़ी हैं. अब इतना तय है कि इनका महागठबंधन अब ज्यादा दिन चलने वाला नहीं है. 

हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का उलट फैसला : मांझी
वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को न्यायिक मामला बताते हुए उसपर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा कि हाइकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का उलट फैसला है, लेकिन लालू पर जो आरोप लगे हैं वो गंभीर हैं. 

जैसी करनी, वैसी भरनी : नंदकिशोर यादव
भाजपा नेता नंदकिशोर यादव ने कहा है कि जैसी करनी, वैसी भरनी. उन्हाेंने कहा कि जो जैसा करेगा उसे वैसा अंजाम भुगतना ही होगा. भाजपा नेता ने कहा कि अपराधी कितना भी बड़ा क्यों ना हो? कानून से बड़ा कोई नहीं हो सकता. सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य है. 

महागठबंधन पर नहीं पड़ेगा असर : राजद नेता
इधर लालू प्रसाद से मिलकर बाहर निकलने के बाद पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले और सरकार के सेहत पर कोई असर पड़नेवाला नहीं है. उन्होंने कहा कि यह कोई नयी बात नहीं हुई है. जो लोग मुंगेरी लाल के हसीन सपने देख रहे हैं कि इस फैसले के बाद गंठबंधन पर असर पड़ेगा, लालू प्रसाद व नीतीश कुमार अलग हो जायेंगे, उनको भारी निराशा होगी. ऐसा कुछ भी नहीं होनेवाला है. गंठबंधन अटूट है और 2019 में सब मिलकर सिर्फ बिहार में ही नहीं, पूरे देश में नरेंद्र मोदी का मुकाबला करेंगे. उनको परास्त करने की कोशिश होगी. 

राजनीति में केस मुकदमे लगे रहते हैं : कांग्रेस नेता
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एचके वर्मा ने कहा है कि लालू प्रसाद के मामले में आए सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से महागठबंधन पर कोई असर नहीं पड़ेगा. बिहार की महागठबंधन सरकार न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाकर उसके आधार पर राज्य के विकास में लगी हुई है. भाजपा और इनके सहयोगियों को सरकार के अच्छे काम भी बुरे लगते हैं. इन्हें मूलत: टीका टिप्पणी करने में महारत हासिल हैं. उन्होंने कहा कि राजनीति में केस मुकदमे लगे ही रहते हैं. राजद प्रमुख लालू प्रसाद पर यह कोई पहला मामला नहीं है. कोर्ट के आज आए फैसले से महागठबंधन पर न तो पूर्व में कोई असर पड़ा था न ही भविष्य में पड़ेगा. जिन्हें राजनीति की समझ नहीं वे ऐसे मामलों में अपनी टिप्पणी देकर आम जनता को दिगभ्रमित करना चाहते हैं.

लालू प्रसाद के आवास पर पसरा सन्नाटा
इन सबके बीच राजद प्रमुख लालू प्रसाद का आवास 10 सर्कुलर रोड पर सुबह से ही सन्नाटा पसरा दिखा. सुबह में मिलने-जुलनेवालों की कोई भीड़ नहीं थी. उधर लालू प्रसाद भी सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के आनेवाले फैसले का इंतजार कर रहे थे. फैसला आने के पहले ही पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी लालू प्रसाद से मिलने सुबह उनके आवास पहुंच चुके थे. इसके पहले लालू प्रसाद से मिलने के लिए फतुहा के विधायक रामानंद यादव पहुंच चुके थे. पत्रकारों का जामवाड़ा उनके आवास के बाहर खड़ा होकर फैसले पर लालू प्रसाद की प्रतिक्रिया के लिए इंतजार करता रहा.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद लालू प्रसाद के आवास से यह सूचना मीडिया को दी गयी कि वह इस मामले पर कोई बात नहीं करेंगे. कोर्ट का मामला है. जब तक कोर्ट के आदेश को देख नहीं लिया जाता है तब तक कुछ कहना संभव नहीं है. इधर दोपहर 1.50 बजे पटना हाइकोर्ट से दो वकील लालू प्रसाद से मिलने पहुंचे. मीडिया वालों ने पूछा कि लालू प्रसाद ने उनको बुलाया है. उन्होंने ना में जवाब दिया और अंदर प्रवेश कर गये. शाम तक लालू प्रसाद से मिलने कोई बड़ा नेता नहीं पहुंचा.

लालू पर इन धाराओं में मुकदमा
120- बी यानी आपराधिक साजिश
409- अमानत में खयानत
420- धोखाधड़ी
467- जालसाज़ी
468- धोखाधड़ी के लिए जालसाजी
इसके अलावा भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13(1)सी डी और 13(2)जैसी गंभीर धाराओं के तहत भी मुकदमा चलेगा.

साभार- प्रभात खबर